मोमिन औ' दाग़ औ'ग़ालिब की ग़ज़ल-सी लड़की
चांदनी रात में इक ताजमहल-सी लड़की
जिंदा रहने को ज़माने से लड़ेगी कब तक
झील के पानी में शफ्फाफ़ कँवल-सी लड़की
कोख़ को कब्र बना डाला जब इक औरत ने
कट गयी पकने से पहले ही फसल-सी लड़की
बेटी होना है ज़माने में गुन्हा क्या कोई
घिर गयी सख्त सवालों में सरल-सी लड़की
नर्म हाथों पे नसीहत के धरे अंगारे
चाँद छूने को गयी जब भी मचल-सी, लड़की
अपनी सांसों का सफ़रनामा शुरू से पहले
अपने अंजाम से जाती है दहल-सी, लड़की
बेटियां खूब दुआओं से मिला करती हैं
कौन कहता है ख़ुशी में है खलल-सी, लड़की
इतना कहना है "किरण" आज के माँ-बापों से
बोझ समझो न है अल्लाह के फज़ल-सी, लड़की
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कविता'किरण'
चांदनी रात में इक ताजमहल-सी लड़की
जिंदा रहने को ज़माने से लड़ेगी कब तक
झील के पानी में शफ्फाफ़ कँवल-सी लड़की
कोख़ को कब्र बना डाला जब इक औरत ने
कट गयी पकने से पहले ही फसल-सी लड़की
बेटी होना है ज़माने में गुन्हा क्या कोई
घिर गयी सख्त सवालों में सरल-सी लड़की
नर्म हाथों पे नसीहत के धरे अंगारे
चाँद छूने को गयी जब भी मचल-सी, लड़की
अपनी सांसों का सफ़रनामा शुरू से पहले
अपने अंजाम से जाती है दहल-सी, लड़की
बेटियां खूब दुआओं से मिला करती हैं
कौन कहता है ख़ुशी में है खलल-सी, लड़की
इतना कहना है "किरण" आज के माँ-बापों से
बोझ समझो न है अल्लाह के फज़ल-सी, लड़की
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कविता'किरण'