Monday, June 13, 2011

मेरी ख़ामोशी को लब,लब पर दुआ दे जायेगा.....


मेरी ख़ामोशी को लब,लब पर दुआ दे जायेगा
मुझको तन्हाई में हंसने की अदा दे जायेगा

ले गया मुझको चुराकर मुझसे जो पूछे बगैर
देख लेना एक दिन अपना पता दे जायेगा

छेड़कर चुपके-से इक दिन मेरी साँसों का सितार
वो दबी चिंगारियों को फिर हवा दे जायेगा

बंदिशें सब तोड़कर झूठी रिवाजों-रस्म
की
मेरे क़दमों को नया इक रास्ता दे जायेगा


देगा इक ताज़ा तरन्नुम जिंदगी की नज़्म को
मेरी
गज़लों को नया इक काफिया दे जायेगा

भूल
ना जाऊं कहीं भूले-से उसको इसलिए
मुझको अपनी चाहतों का वास्ता दे जायेगा

ए"किरण क्यों ना करे दिल उस
सनम का इंतज़ार
जो तबस्सुम लब को, दिल को हौसला दे जायेगा
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डॉ.कविता'किरण'