ज़िन्दगी इस तरह क्यों आई हो
मानो सीलन-भरी रज़ाई हो
यूँ तो मेरी ही ज़िन्दगी हो तुम
फिर भी क्यों लग रही पराई हो
जो बुरे वक़्त ने है दी मुझको
तुम वही मेरी मुंह-दिखाई हो
रंजो-गम,अश्क,आह,तन्हाई
जाने क्या साथ ले के आई हो
बोझ साँसों का सह नहीं पाए
तुम वो कमज़ोर चारपाई हो
तुम पे कैसे यक़ीं कोई कर ले
तुम कभी जून हो जुलाई हो
मुद्दतों तक कुनैन खाई है
अब तो तक़दीर में मिठाई हो
लो मुकम्मल हुई ग़ज़ल आख़िर
वाह जी वा 'किरण' बधाई हो
-कविता"किरण"
मानो सीलन-भरी रज़ाई हो
यूँ तो मेरी ही ज़िन्दगी हो तुम
फिर भी क्यों लग रही पराई हो
जो बुरे वक़्त ने है दी मुझको
तुम वही मेरी मुंह-दिखाई हो
रंजो-गम,अश्क,आह,तन्हाई
जाने क्या साथ ले के आई हो
बोझ साँसों का सह नहीं पाए
तुम वो कमज़ोर चारपाई हो
तुम पे कैसे यक़ीं कोई कर ले
तुम कभी जून हो जुलाई हो
मुद्दतों तक कुनैन खाई है
अब तो तक़दीर में मिठाई हो
लो मुकम्मल हुई ग़ज़ल आख़िर
वाह जी वा 'किरण' बधाई हो
-कविता"किरण"
वाह...किरण जी आपने मार डाला ....
ReplyDeleteवाह...किरण जी आपने मार डाला ....नीरजा
ReplyDeleteसीलन भरी रजाई...वाह...बहुत नया प्रयोग किया है आपने...दाद कबूल करें...
ReplyDeleteनीरज
कविता जी, आपका अंदाजे बयां बहुत ही प्यारा है।
ReplyDelete------
जै हिन्दी, जै ब्लॉगिंग।
आसमान में छेद हो गया....
बहुत सुन्दर मनभावन अभिव्यक्ति|
ReplyDeleteबहुत उम्दा!
ReplyDeleteati sundar
ReplyDeleteक्या हुआ..?
ReplyDeleteक्या हुआ जो हिन्दू हो गए हम
मुसलमाँ भी हो सकते थे
सिख,ईसाई,बोद्ध,पादरी
कुछ भी हो सकते थे
यह तो खुदा की मर्ज़ी थी
जो हमको हिन्दू बनाया
अच्छी शिक्षा दिलवाई
और प्यार से जीना सिखाया
अल्ला ईश्वर बाहेगुरु,ईसा
कुछ भी कर सकते थे
दिल में हमारे प्यार की जगह
नफ़रत भी भर सकते थे
लेकिन ऐसा कुछ न किया
हममें बिश्वास जगाया
शुक्रगुज़ार हैं उस दाता के
हमको इन्सान बनाया
हमको इन्सान -------
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
16 /9 /11
09136211486
हिंदी में गजल लिखने की प्रथा को आपने
ReplyDeleteब-खूबी निभाया है. हर गजल एक नया चिंतन
लिए हुये है. 'सीलन भरी रजाई' भी एक
अच्छी प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है.
धन्यवाद.
आनन्द विश्वास.
अहमदाबाद.
सच कहूँ तो मैं दीवाना हूं आपकी शायरी का ......
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आपकी आवाज़ में जो गजले हैं , कसम से रूह को छूती हैं , खास कर यह ग़ज़ल " फिर तुम वो ही बात करोगे , झगडा मेरे साथ करोगे " 100-150 बार तो सुन चूका हूं ! मेरी favorite गजलों में हैं ! मैं जगजीत जी की आवाज़ का दीवाना हूं , उसी तरह आपकी आवाज़ भी मेरी favorite हैं , मैं आप जी से जानना चाहता हूं की क्या आप जी की कोई ग़ज़ल एल्बम मार्केट में उपलब्ध हैं तो कृपा बताएं , आप जी की किताब " तुम्ही कुछ कहो ना " मैने पढ़ी हुई हैं , मुझे आप जी की गजलें बहुत अच्छी लगती हैं ! ग़ज़ल एल्बम के बारे मैं अवश्य बताएँ , मेरा इ - मेल हे - shayariorsahil@gmail.com
Thanks
sahil ji apke blog per aapki sabhi nazme aur kavitayen kabile-daad hain..bahut bhavpoorn..apko padhkar achha laga...aap meri gazlon ko itna pyar dete hain..aur dil se sunte-sarahte hain jankar sukhad laga..CD available hai..chand dharti pe utarta kab hai..mail-kavitakiran2008@gmail.com....:)shukriya
ReplyDeleteनमस्कार
ReplyDeleteआप जी मेरे ब्लॉग पर आए , अपना कीमती वक्त दिया उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यबाद !
जेसा के आपने बताया के आपकी एल्बम " चाँद धरती पे उतरता कब हैं " उपलब्ध हैं , कृपा करके बतला दें के मैं इस एल्बम को कहां से खरीद सकता हूं , मैं जिला ऊना ( हिमाचल प्रदेश ) का रहने वाला हूं और मैने यहाँ के बाज़ार में और आस पास के बाज़ारों में इस एल्बम के बारे में पता किया लेकिन यहाँ यह उपलब्ध नही थी , मैं बहुत बेचैन हूं आप की इस एल्बम को सुनने के लिए .... आपकी आवाज़ में जो जादू , जो कशिश हैं .. बेचैन कर रही हैं इस एल्बम को सुनने के लिए . आप की एक किताब " तुम्ही कुछ कहो ना " तो मैने पढ़ ली हैं कृपा अपनी अन्य किताबों ( हिंदी भाषा ) की जानकारी भी दे , के कहां से खरीदी जा सकती हैं ! मैं सब की सब पढना चाहता हूं ! आपसे मेल पर भी मैने जानना चाहा था , जब भी आप जी को वक्त लगे कृपा करके उपरोक्त जानकारी मुहेइया करवा देजेगा
चरनबंदना
साहिल
Hello sahil ji..
ReplyDeleteTHE books written by Dr kavita”kiran”(Poetess)---
1-Dard ka safar (Gazals) Awarded
2-Tum kahte ho to (kavitayen)
3-Chupke-Chupke (Laghu kavitayen)
4-Tumhi kuch kaho na! (Gazals)
5-Ye to kewal pyar hai (Geet)
--Aur Rajasthani Bhasha mein-
6-Bakhat ri baatan (Gazals)Awarded
7-Boli ra bann (Gazals)
8-Mukhar moon (kavitayen) Price-125/-Rs each+courier charge.
CD—1-"CHAND DHARTI PE UTARTA KAB HAI"
2-“PHIR PHIR AAYA FAGUN”
(Gazals written n sung by Dr kavita"kiran"-- Price-50/-Rs each+courier charge extra.)
Available at-
Akanksha prakashan, Nehru colony, Falna-306116(Raj)
contact--09414523730
Or
Dr kavita’kiran’ Nehru colony, Falna-306116(Raj)
seelan bhari rajai dil ko chhu gayi
ReplyDeletebadhai kabool karein...
सुंदर रचना
ReplyDeleteसुन्दर उम्दा रचना
ReplyDeleteGyan Darpan
RajputsParinay
जिन्दगी इस तरह क्यों आई हो
ReplyDeleteमानो सीलन भरी रजाई हो
यूं तो मेरी ही जिन्दगी हो तुम
फिर भी क्यों लग रही पराई हो
जो बुरा वक़्त ने है दी मुझको
तुम ही मेरी मुंह-दिखाई हो........
बेहतरीन....और शिक्षाप्रद भी