बेवफा बावफा हुआ कैसे
ये करिश्मा हुआ भला कैसे
वो जो खुद का सगा न हो पाया
हो गया है मेरा सगा कैसे
जब नज़रिए में नुक्स हो साहिब
तो नज़र आएगा ख़ुदा कैसे
सो गया हो ज़मीर ही जिसका
वो किसी का करे भला कैसे
तूने बख्शा नहीं किसी को जब
माफ़ होगी तेरी ख़ता कैसे
जब कफस में नहीं था दरवाज़ा
फिर परिंदा हुआ रिहा कैसे
कितने हैरान हैं महल वाले
कोई मुफ़लिस यहाँ हंसा कैसे
चाँद मेहमान है अंधेरों का
चुप रहेगी 'किरण' बता कैसे
कविता'किरण'
VERY LOVELY PRASTUTI IN A BEUTIFULLY DECORATED PAGE BY A LOVELY ANGEL !
ReplyDeleteJUGAL SINGH
दीप पर्व की परिवारजनों संग हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं.
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