Friday, December 21, 2012

उस दिन के लिए तैयार रहना..तुम!!!!




तुम पूरी कोशिश करते हो
मेरे दिल को दुखाने की
मुझे सताने की
रुलाने की
और इसमें पूरी तरह कामयाब भी होते हो---
सुनो!
मेरे आंसू तुम्हे
बहुत सुकून देते हैं ना!
तो लो..
आज जी भर के सता लो मुझे
देखना चाहते हो ना !
मेरी सहनशक्ति की सीमा!!
तो लो..
आज जी भर के
आजमा लो मुझे
और मेरे सब्र को
पर हाँ!
फिर उस दिन के लिए तैयार रहना
कि जिस दिन 
मेरे सब्र का बाँध टूटेगा
और बहा ले जायेगा तुम्हे
तुम्हारे अहंकार सहित 

इतनी दूर तक--
कि जहाँ तुम
शेष नहीं बचोगे 

मुझे सताने के लिए
मेरा दिल दुखाने के लिए
मुझे आजमाने के लिए
पड़े होंगे पछतावे और 
शर्मिंदगी की रेत पर कहीं
अपने झूठे दम्भ्साहित
  एकदम अकेले--
उस दिन के लिए
तैयार रहना--
तुम !-
----डॉ कविता"किरण"---