Friday, January 21, 2011

दिल जलता है दीपक जैसे....कवियत्री डॉ कविता'किरण' का 27 जन 2011 को दुबई में काव्य-पाठ--...

Bharteeya dootawas ki aur se 27 jan 2011 ko Gantantra diwas ke shubh avsar per "Dubai shopping festival' DUBAI mein aayojit kavi sammelan-mushayre mein iss baar main bhi kavy-path hetu aamantrit kee gayi hun....sath hi 24 jan ko Gaziyabad kavi sammelan mein aur 25 jan ko Jaipur(sarvbhasha sadbhavna kavi sammelan) mein bhag lekar apni matra bhasha Rajasthani ka pratinidhitv bhi karungi. ..aap sabhi mitron ki shubhkamnayen apekshit hain....kavita'kiran'
पहुंचेगा मंजिल तक जैसे
दिल जलता है दीपक जैसे

मुड-मुड कर वो देख रहा है
उसको मुझ पर हो शक जैसे

खनक उठे दिल के दरवाज़े
उसने दी हो दस्तक जैसे

सीने में इक ख़ामोशी है
सहम गयी हो धक्-धक् जैसे

आज जिया है वो जी-भरकर
मौत टली हो कल तक जैसे

हर मंजिल पर वो ही वो है
हर रस्ता है उस तक जैसे

'किरण' सताए वो कुछ ऐसे
मुझ पर हो उसका हक जैसे
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डॉ कविता'किरण'






Thursday, January 6, 2011

श्रंगार का एक छंद...




ऋतुओं की रानी हूँ मै शरद सुहानी हूँ
फागुन में होली रस-रंग की बहार हूँ!
चमकूँ बिजुरिया-सी बरसूँ बदरिया-सी
सावन में रिमझिम बरखा-बहार हूँ!
जेठ की दुपहरी हूँ चांदनी रुपहरी हूँ
वासंती हवा हूँ मंद-मंद मै बयार हूँ!
प्यार-मनुहार हूँ अंगार हूँ श्रंगार हूँ
चढ़के उतरे वो प्रीत का खुमार हूँ!
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कविता'किरण'