Monday, May 24, 2010

watch me on DD1 (national channal)at 7.15 pm to 8pm on 26 may (wednesday)in programme "Chalo chakradhar chaman mein" n the topic is "Vradhhashram"

watch me on DD1 (national channal) at 7।15 pm to 8pm on 26 may (wednesday)
in programme "Chalo chakradhar chaman mein" n the topic is "Vradhhashram"
जिसका पुनः प्रसारण डी डी भारती पर शुक्रवार शाम ७.३० और रविवार रात १०.३० पर देखें और कृपया अपनी राय भी दें। धन्यवाद.

Monday, May 17, 2010

ख्वाब आते रहे ख्वाब जाते रहे नींद ही में अधर मुस्कुराते रहे





ख्वाब आते रहे ख्वाब जाते रहे
नींद ही में अधर मुस्कुराते रहे

सुरमई साँझ इकरार की थी मगर
रस्म इनकार की हम निभाते रहे

चांदनी रात में कांपती लहरों को
कंकरों से निशाना बनाते रहे

बोझ शर्मो-हया का ही हम रात-भर
रेशमी नम पलक पर उठाते रहे

उनके बेबाक इजहारे-उल्फत पे बस
दांत में उँगलियाँ ही दबाते रहे

वक़्त की बर्फ यूँ ही पिघलती रही
वो मनाते रहे हम लजाते रहे

ऐ "किरण" रात ढलती रही हम फ़क़त
रेत पर नाम लिखते मिटाते रहे
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डॉ कविता"किरण"

Saturday, May 1, 2010

आज मजदूर दिवस है. और इस अवसर पर मैं मजदूर की पीड़ा का रेखांकन करती हुई, उनकी संवेदनाओं से जुडी हुई एक ग़ज़ल बयान करना चाहती हूँ. कृपया इसे नवाजें..


अबके तनख्वा दे दो सारी बाबूजी
अब के रख लो लाज हमारी बाबूजी


इक तो मार गरीबी की लाचारी है

उस पर टी.बी.की बीमारी बाबूजी

भूखे बच्चों का मुरझाया चेहरा देख
दिल पर चलती रोज़ कटारी बाबूजी


नून-मिरच मिल जाएँ तो बडभाग हैं
हमने देखी ना तरकारी बाबूजी


दूधमुंहे बच्चे को रोता छोड़ हुई
घरवाली भगवान को प्यारी बाबूजी


आधा पेट काट ले जाता है बनिया
खाके आधा पेट गुजारी बाबूजी


पीढ़ी-पीढ़ी खप गयी ब्याज चुकाने में
फिर भी कायम रही उधारी बाबूजी


दिन-भर मेनत करके खांसें रात-भर

बीत रहा है पल-पल भारी बाबूजी


ना जीने की ताकत ना आती है मौत

जिंदगानी तलवार दुधारी बाबूजी


मजबूरी में हक भी डर के मांगे हैं

बने शौक से कौन भिखारी बाबूजी


पूरे पैसे दे दो पूरा खा लें आज

बच्चे मांग रहे त्यौहारी बाबूजी

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डॉ कविता'किरण'