हर तरफ उनके ख़यालों की महकती बज़्म है
आजकल ये दिन शुरू उन से उन्ही पर ख़त्म है
आप ही से हर ग़ज़ल है आप ही की नज़्म है
आप ही हैं शम्मे-महफ़िल आप ही की बज़्म है
उनकी हसरत, हम रहें, हरदम नज़र के सामने
प्यार में मिलकर बिछड़ना, ये भी कोई रस्म है
रु-ब -रु वो आयेंगे तो जाने क्या हो जायेगा
जब तस्सवुर ही से उनके हम को आती शर्म है
इस तरह महसूस होती है जुदाई आपकी
रूह के बिन जिस्म गोया नूर के बिन चश्म है
मुफलिसों की ज़िदगी है एक जलती दोपहर
धूप है शिद्दत की सर पे और हवा भी गर्म है
यूँ तो लिखे हैं 'किरण' अशआर हमने बेशुमार
जब तलक वो पढ़ न लें,लगती अधूरी नज़्म है
********
डॉ कविताकिरण'
आजकल ये दिन शुरू उन से उन्ही पर ख़त्म है
आप ही से हर ग़ज़ल है आप ही की नज़्म है
आप ही हैं शम्मे-महफ़िल आप ही की बज़्म है
उनकी हसरत, हम रहें, हरदम नज़र के सामने
प्यार में मिलकर बिछड़ना, ये भी कोई रस्म है
रु-ब -रु वो आयेंगे तो जाने क्या हो जायेगा
जब तस्सवुर ही से उनके हम को आती शर्म है
इस तरह महसूस होती है जुदाई आपकी
रूह के बिन जिस्म गोया नूर के बिन चश्म है
मुफलिसों की ज़िदगी है एक जलती दोपहर
धूप है शिद्दत की सर पे और हवा भी गर्म है
यूँ तो लिखे हैं 'किरण' अशआर हमने बेशुमार
जब तलक वो पढ़ न लें,लगती अधूरी नज़्म है
********
डॉ कविताकिरण'