Wednesday, December 30, 2009

ज़ख्म छुपाकर तू अपना,नए साल का गीत सुना...

नए साल की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ एक गीत पेशे -खिदमत है...-

ज़ख्म छुपाकर तू अपना
नए साल का गीत सुना
आज के दिन रोना हैं मना
नए साल का गीत सुना

आँख है तेरी नम तो क्या
चैन बहुत है कम तो क्या
बुन खुशहाली का सपना
नए साल का गीत सुना

है घनघोर अँधेरा पर
तू सूरज की बातें कर
दिल कर दे दरिया जितना
नए साल का गीत सुना

जानेवाले पल का क्या
आनेवाले कल का क्या
आज अभी की ख़ैर मना
नए साल का गीत सुना

पूछ 'किरण' मत अपना हाल
 एक सरीखा है  हर साल
दर्द बढ़ा है दिन दुगना
नए साल का गीत सुना
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डॉ कविता'किरण'



Monday, December 21, 2009

आ जाओ जिंदगी में नए साल की तरह....:)))

सभी पढ़नेवालों को क्रिसमस और नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बतौर तोहफा एक ग़ज़ल पेश कर रही हूँ.अपनी राय से ज़रूर नवाजें -
गुज़रो न बस क़रीब से ख़याल की तरह
आ जाओ जिंदगी में नए साल की तरह

कब तक खफा रहेगा शजर अपनी शाख से
झुक कर ले मिलो कभी तो डाल की तरह

ये है अदब की बज़्म अदालत नहीं कोई
उठते हो बार बार क्यों सवाल की तरह

ये क्या हुआ कि आये बैठे और चल दिए
रुकिए ज़रा तो खुशनुमा ख्याल की तरह

जो दे सके ज़माना आशिकी के नाम पर
पेश आइये जहाँ में उस मिसाल की तरह

अचरज करे ज़माना जिसको देख उम्र-भर
हो जाओ जिंदगी में उस कमाल की तरह

ये क्या कहा है तुझको "किरण" आफताब ने
चेहरा तेरा है लाल क्यों गुलाल कि तरह
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डॉ कविता"किरण"