Thursday, April 15, 2010

जिसकी आँखों में सिर्फ पानी है ..Jiski aankho me sirf pani hai...


जिसकी आँखों में सिर्फ पानी है
वो ग़ज़ल आपको सुनानी है 

अश्क कैसे गिरा दूँ पलकों  से 
मेरे महबूब की निशानी  है
 
लब पे वो बात ला नहीं पाए   
जो कि हर हाल  में बतानी  है

 कहीं आंसू कहीं तबस्सुम  है
कुछ हकीकत है कुछ कहानी  है

हमने लिखा नहीं  किताबों में
अपना जो भी है मुंह ज़बानी है 

कर दी आसान मुश्किलें सारी 
मौत भी किस क़दर सुहानी है 

आज तो बोल दे 'किरण' सब कुछ   
ख़त्म पर फिर तो जिंदगानी है
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( 'दर्द का सफ़र' में से )
डॉ कविता'किरण'