कब तलक काबा ओ काशी जायेगा
क्या कभी खुद की तरफ भी जायेगा?
हमसफ़र होगी फ़क़त नेकी_बदी
साथ में पंडित ना काजी जायेगा
एक हद तक इम्तिहाँ देने के बाद
सब्र का प्याला छलक ही जायेगा
क्यों मसीहा की लगाये हो उम्मीद
है न कोई ज़ख्म जो सी जायेगा
गम न कर दम तोड़ते मेरे जिगर
दर्द के छूते ही तू जी जायेगा
इन् हरे पेड़ों से अमृत छीनकर
सोचते हो वो ज़हर पी जायेगा?
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डॉ कविता'किरण'
क्या कभी खुद की तरफ भी जायेगा?
हमसफ़र होगी फ़क़त नेकी_बदी
साथ में पंडित ना काजी जायेगा
एक हद तक इम्तिहाँ देने के बाद
सब्र का प्याला छलक ही जायेगा
क्यों मसीहा की लगाये हो उम्मीद
है न कोई ज़ख्म जो सी जायेगा
गम न कर दम तोड़ते मेरे जिगर
दर्द के छूते ही तू जी जायेगा
इन् हरे पेड़ों से अमृत छीनकर
सोचते हो वो ज़हर पी जायेगा?
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डॉ कविता'किरण'
बेहतरीन ग़ज़ल| मकता कमाल का है .......दिल से मुबारकबाद|
ReplyDeleteआदरणीय डॉ कविता'किरण' जी
ReplyDeleteनमस्कार !
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
आज तो किसी एक शेर की बात नही कह सकती सभी अशार कमाल के हैं। बधाई आपको।
ReplyDeleteSanjay ji, Nirmalaji bahut bahut shukriya aapka.aapka aana achha laga.thnx.
ReplyDeleteकविता दीदी क्या खूब लिखा है
ReplyDeleteगज़ब की लेखनी है.....
बहुत-बहुत बधाई
"वाणी" गौरव गोलछा
bahut sundaer rachna KAB TALAK KAABA AUR KAASHI JAYEGA
ReplyDeletebahut sundar laga badhayee ho
ReplyDeleteComplements for the the beautiful poetry...
ReplyDeletebehtreen rachna ...........badhai
ReplyDeleteएक हद तक इम्तिहाँ देने के बाद
ReplyDeleteसब्र का प्याला छलक ही जायेगा
in panktiyon ke saath kavita mem , saadar pranam !
khoob surat .
badhai
वन्दे मातरम दोस्त,
ReplyDeleteआप फेसबुक पर मेरी मित्र हैं मगर बद किस्मती से कभी मैं आपकी वाल तक पहुंच ही नही पाया था..... ऑरकुट के माध्यम से मुझे आपकी कुछ कविताये पड़ने का सौभग्य प्राप्त हुआ........
हमसफ़र होगी फ़क़त नेकी_बदी
साथ में पंडित ना काजी जायेगा
सागर भरकर भी ना प्यासी रह जाऊं
गागर के भीतर कोई डर-सा होगा,
बहुत ही खूबसूरत
shukriya rakeshji. aapka aur sabhi mitron ka yahan aana bahut achha laga. aage bhi aap sabka swagat hai.
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत...
ReplyDeleteकहीं खो सा गया मैं....
आपकी कलम का जादू ही है यह....
मेरे ब्लॉग मेरी रचना स्त्री...
आनन्दित कर दिया, जज्बातों और प्रेम तासीर का शब्दों में बेहतरीन बयानी।
ReplyDeleteबढ़िया ग़ज़ल है. good.
ReplyDeleteकुँवर कुसुमेश
समय हो तो मेरा ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com कृपया देखें .