पहुंचेगा मंजिल तक जैसे
दिल जलता है दीपक जैसे
मुड-मुड कर वो देख रहा है
उसको मुझ पर हो शक जैसे
खनक उठे दिल के दरवाज़े
उसने दी हो दस्तक जैसे
सीने में इक ख़ामोशी है
सहम गयी हो धक्-धक् जैसे
आज जिया है वो जी-भरकर
मौत टली हो कल तक जैसे
हर मंजिल पर वो ही वो है
हर रस्ता है उस तक जैसे
'किरण' सताए वो कुछ ऐसे
मुझ पर हो उसका हक जैसे
********
डॉ कविता'किरण'
दिल जलता है दीपक जैसे
मुड-मुड कर वो देख रहा है
उसको मुझ पर हो शक जैसे
खनक उठे दिल के दरवाज़े
उसने दी हो दस्तक जैसे
सीने में इक ख़ामोशी है
सहम गयी हो धक्-धक् जैसे
आज जिया है वो जी-भरकर
मौत टली हो कल तक जैसे
हर मंजिल पर वो ही वो है
हर रस्ता है उस तक जैसे
'किरण' सताए वो कुछ ऐसे
मुझ पर हो उसका हक जैसे
********
डॉ कविता'किरण'
हर मंजिल पर वो ही वो है
ReplyDeleteहर रस्ता है उस तक जैसे ....
ये शे'र पसंद आया ... बधाई स्वीकार करें
अर्श
shukriya arshji..gazal ka ek sheir to kamyaab hua..:))
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक शेरों का गुलदस्ता - लाजवाब ग़ज़ल
ReplyDeleteखूबसूरत ग़ज़ल………आभार!!!!!
ReplyDeleteआज तो आप व्यस्त होंगी जयपुर में ....हमारी शुभकामनायें ...रचना बहुत अच्छी लगी
ReplyDeleteहर मंजिल पर वो ही वो है
ReplyDeleteहर रस्ता है उस तक जैसे .
ये शे'र पसंद आया . बधाई स्वीकार करें
मेम !
ReplyDeleteदुबई यात्रा के लिए बधाई ảउ वहा भी अपने शेरो से सभी को नत मस्तक कर्देगी , ये उम्मीद है .
बधाई !
कभी लगें मुक्तक जैसे।
ReplyDeleteकभी लगें पुस्तक जैसे॥
शेर आपकी गजलों के-
यादों के गुल्लक जैसे॥
सरस एवं प्रभावशाली रचनाएं की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार कीजिए और गणतंत्र-दिवस के अवसर पर मंगल कामनाएं भी।
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मुन्नियाँ देश की लक्ष्मीबाई बने,
डांस करके नशीला न बदनाम हों।
मुन्ना भाई करें ’बोस’ का अनुगमन-
देश-हित में प्रभावी ये पैगाम हों॥
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सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
Aap sabhi mitron ko housl afzahi ke liye bahut bahut shukriya...
ReplyDeletebehad achchi lagi.
ReplyDeletebahut acchi gazal... aur abhi aapka video dekha... bahut sundar aur joshilaa kavyapaath... behad achha laga..
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