डॉ.कविता'किरण'( कवयित्री) Dr.kavita'kiran' (poetess)

नाम मेरा 'किरण' है ऐ साहिब!मेरे अंदर मेरा उजाला है-डॉ.कविता"किरण" I AM LIGHT OF LOVE,LET ME SPREAD IN YOUR HEART AND YOUR LIFE-Dr.kavita'kiran'

Thursday, July 5, 2018

"स्त्री ...." एक नज़्म


Posted by Dr. kavita 'kiran' (poetess) at Thursday, July 05, 2018 2 comments:
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Wel-come to all poetry lovers in my poetic world..:..)

zindgi main aayegi jinse bahaar
hai mujhe unn aahton ka intezaar.
-dr.kavita"kiran"

जिंदगी में आएगी जिनसे बहार
है मुझे उन आहटों का इंतजार

-डॉ कविता'किरण'

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Dr. kavita 'kiran' (poetess)
Falna, Rajasthan, India
कलम अपनी,जुबां अपनी, कहन अपनी ही रखती हूँ, अंधेरों से नहीं डरती "किरण" हूँ खुद चमकती हूँ, ज़माना कागजी फूलों पे अपनी जां छिड़कता है मगर मैं हूँ की बस अपनी ही खुशबू से महकती हूँ-- **** इस ब्लॉग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का मकसद फ़क़त एक कोशिश है ख़ुद को ख़ुद से बाहर लाने की। बहुत कुछ अनकहा कह देने की। अपने खास लम्हों की कहन को आम कर देने की। इस ब्लॉग के जरिये मैं ख़ुद को समेटकर अपनी अनुभूतियों के विस्तृत आकाश को दुनिया के सामने फैला रही हूँ और दावत देती हूँ सभी काव्यप्रेमियों को अपने इस सृजन के आकाश में उडान भरने के लिए। दरअसल जिंदगी के कैनवास पर वक्त की तूलिका ने जब, जिन रंगों से, जो चित्र उकेरे, यह ब्लॉग उसी की एक चित्रावली है. एक शब्दावली, जो आपके कानों तक पहुंचना चाहती है। एक द्रश्यावली जो आपकी नज़र को छू के गुजरना चाहती है, आपके सामने है। सफर में हूँ । मंजिल तक पहुंचना चाहती हूँ। कब पहुँचती हूँ ! देखते हैं*******
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पद्म श्री,पद्म भूषण,कवि श्री गोपालदासजी नीरज,अलीगढ (उ.प्र.) -

कवियों और कवियत्रियों की अग्रिम पंक्ति में रेखांकित किया जानेवाला एक ऐसा नाम, जिसे पूरा देश डॉ.कविता'किरण'के नाम से जानता है. कविता कि कलम ने हर विधा को स्पर्श किया है. इनकी रचनाएँ आरती के पुष्प की तरह सुगन्धित और मनहरण हैं. ये गीत की ध्वजा को वहन कर मंच पर उसे उसके शुद्ध रूप में प्रस्तुत भी कर रही हैं,यह महत्वपूर्ण बात है. कवियत्री डॉ.कविता'किरण' राजस्थान की मरूभूमि में सुगंध बिखेरती हुई रातरानी के समान है. मैं इनके उज्जवल भविष्य के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हूँ . कविता'किरण' के यश में उत्तरोत्तर वृद्धी हो यही मंगल कामना है.

गीतकार डॉ कुंवर बेचैन,गाज़ियाबाद

आठ से अधिक प्रकाशित काव्य-संग्रहों की रचयिता ,अनेक सम्मान और पुरस्कारों से अलंकृत,फिल्मों में गीति-लेखिका,अनेक देशों में कविता-पाठ कर हिंदी की ध्वजा को सम्मानपूर्वक फहरानेवाली सुदर्शना और कोकिल-कंठी कवियत्री डॉ. कविता'किरण' विभिन्न टी.वी.चैनलों तथा देश-विदेश के काव्य-मंचों पर अपनी काव्य-प्रतिभा की धाक जमा चुकी हैं. मैंने डॉ.कविता'किरण' को अपनी साहित्य-प्रतिभा की ज्योति-किरणों को बिखेरते हुए अनेक काव्य-मंचों पर देखा है.वे चाहे गीत पढ़ें या ग़ज़ल,मुक्तक पढ़ें या और कुछ,वे श्रोता के हिरदय में सहजता के साथ उतरती चली जाती है.इसका मूल कारण इनकी कविताओं का संवेदना-पक्ष तो है ही साथ ही सहज-संप्रेश्नणीयता भी है.उनकी कविता की भाषा की 'बुनावट' 'बनावट' से परे है.इनकी रचनाएँ बहुत प्यारी और मोहक हैं.कविता के उज्जवल भविष्य के लिए मेरी मन से मंगल कामनाएँ..

कवि श्री बालकवि बैरागी,पूर्व सांसद, राज्य सभा, नीमच (म.प.)-

कविता'किरण' की रचनाओं में एक सम्प्रेश्नीयता है. 'किरण' की रचनाओ और प्रस्तुतियों को मैंने स्वयं हजारों श्रोताओं के बीच बैठकर सुना है. मैंने देखा और महसूस किया है कि 'किरण' की पंक्तियाँ सीधे श्रोता की चेतना को स्पर्श करती है. 'किरण' के पास प्रान्वत्त्ता है. 'किरण' का सृजन एक साहित्यिक, सारस्वत, शालीन मनोलोक का भ्रमण है. आप 'किरण' की किसी भी रचना को उठा लें, आपको उसमे एक 'किरण' मिल ही जाएगी.

कवि श्री अशोक चक्रधर,उपाध्यक्ष,हिंदी अकादमी, दिल्ली -

कविता'किरण' कविताओं के एक ऐसे प्रकाश पुंज का नाम है जिसमें सतरंगी रश्मियाँ हैं. इनके श्रृंगार के मधुर गीतों के साथ राष्ट्रीय चेतना में ओज का रंग श्रोताओं के सर पर तत्काल चढ़ता है. विविध रंगों में इनके जैसे लेखन का बोध मुझे अन्य किसी समकालीन कवियत्रियों में मुश्किल से दिखता है. कुल मिलाकर आश्वस्त करती है कविता की सारी किरनें.इनके काव्य का वहन ताक स्वागत होना चाहिए जहाँ ताक कविता का उजाला जाता है.

हास्य कवि श्री सुरेन्द्र शरमा, दिल्ली-

कविता'किरण' अपनी रचनाओं में सहजता से इतना कुछ कह जाती हैं कि पाठक या श्रोता के पास कहने को कुछ शेष नहीं रहता. क्योंकि इनके विषय, कविता के तेवर और भाव, तीनों ही इतने नगीने कि तरह जड़े हुए हैं कि कहने को सिर्फ 'वाह-वाह' ही राह जाता है.कविता ने अपनी रचनाओं में हिरदय के उपयोग के साथ साथ अपनी रचना धर्मिता को भी निभाया, ये एक अच्छी बात है. मैं चाहूँगा कि कविता यूं ही लिखती रहे. और बेहतर, और बेहतर लिखती रहे. मेरी शुभकामनायें.

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