
उनसे आँखों ही में होती है लड़ाई मेरी
थाम लेते हैं सनम जब भी कलाई मेरी
आईनों!शोख मिजाजी में हया के तेवर
मुझको तस्वीर नई तुमने दिखाई मेरी
इन्तेहाँ देखो शरारत की भरी महफ़िल में
उसने गा-गाके ग़ज़ल मुझको सुनाई मेरी
मैंने रो-रोके जुदाई में यहाँ जाँ दे दी
बेवफा याद भी तुझको नहीं आई मेरी
भरी बरसात में यूँ छोडके जानेवाले
तुझको भी खूब सताएगी जुदाई मेरी
मुझको सूरज ने उतारा है उजाले देकर
ऐ "किरण"आज ज़मीं पर हो बधाई मेरी
*****कविता 'किरण'******