खिल उठा देह का चमन क्यों है
सिमटा सिमटा-सा तन-सुमन क्यों है
और अदाओ में बांकपन क्यों है
मनचला हो गया है क्यों मौसम
बावरी हो गयी पवन क्यों है
सहमा सहमा हुआ-सा है दर्पण
अनमना अनमना-सा मन क्यों है
महका महका-सा है अँधेरा क्यूँ
दहका दहका हुआ-सा दिन क्यों है
कामनाएं हैं बहकी बहकी-सी
मन का चंचल हुआ हिरन क्यों है
हर सितम तुझपे जाँ छिड़कता है
तुझ में इतनी कशिश "किरण" क्यों है
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कविता"किरण"