Friday, July 6, 2012

सितारे टूटकर गिरना हमें अच्छा नहीं लगता ....

सितारे टूटकर  गिरना हमें  अच्छा नहीं लगता 
गुलों का शाख से झरना हमें अच्छा नहीं लगता 

सफ़र इस जिंदगी का यूँ  तो है  अँधा सफ़र लेकिन  
उमीदें साथ हैं  वरना  हमें अच्छा नहीं लगता 

थे ताज़ा  जब तलक हमको  किसी की याद आती थी  
पुराने  ज़ख्म का भरना हमें अच्छा नहीं लगता 

हमारा नाम भी शामिल हो अब बेखौफ बन्दों में 
जहाँ  से इस  कदर डरना हमें अच्छा नहीं लगता 

मुहब्बत हम करें तेरी इबादत  सोचना भी मत 
तुम्हारा ज़िक्र भी  करना हमें अच्छा नहीं लगता 

भला हो  या बुरा अब चाहे जो होना है हो जाये 
''किरण" ये रोज़ का मरना  हमें अच्छा नहीं लगता
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डॉ कविता 'किरण''


8 comments:

  1. प्रभावशाली मनभावन गज़ल। सुन्दर अभिव्यक्ति।
    बहुत-बहुत साधुवाद।

    आनन्द विश्वास।

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  2. बहुत ही सहज शब्दों में कितनी गहरी बात कह दी आपने..... खुबसूरत अभिवयक्ति....

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  3. खूबसूरत भावाभिव्यक्ति
    रदीफ़ भी अच्छी लगी

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  4. नाखुदा बनके कश्तीको साहिल पे ले जाना हमें अच्छा नहीं लगता...,
    बनके रोशनी सुहानी आफताबकी किसी घरको जला देना हमें अच्छा नहीं लगता.... ॥

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  5. मैं तो आज धन्य हो गया... आपके ब्लॉग पर आ कर..

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  6. सुंदर भावाभिव्यक्ति .....

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