मुहब्बत का ज़माना आ गया है
गुलों को मुस्कुराना आ गया है
नयी शाखों पे देखो आज फिर वो
नज़र पंछी पुराना आ गया है
जुनूं को मिल गयी है इक तसल्ली
वफाओं का खज़ाना आ गया है
उन्हें भी आ गया नींदे उडाना
हमें भी दिल चुराना आ गया है
छुपाया था जिसे हमने हमी से
लबों पर वो फ़साना आ गया है
नज़र से पी रहे हैं नूर उसका
संभलकर लडखडाना आ गया है
मुहब्बत तो सभी करते हैं लेकिन
हमें करके निभाना आ गया है
हमें तो मिल गया महबूब का दर
हमारा तो ठिकाना आ गया है
हम अपने आईने के रु-ब-रु हैं
निशाने पर निशान आ गया है
अँधेरा है घना हर और तो क्या
"किरण"को झिलमिलाना आ गया है
नज़र पंछी पुराना आ गया है
जुनूं को मिल गयी है इक तसल्ली
वफाओं का खज़ाना आ गया है
उन्हें भी आ गया नींदे उडाना
हमें भी दिल चुराना आ गया है
छुपाया था जिसे हमने हमी से
लबों पर वो फ़साना आ गया है
नज़र से पी रहे हैं नूर उसका
संभलकर लडखडाना आ गया है
मुहब्बत तो सभी करते हैं लेकिन
हमें करके निभाना आ गया है
हमें तो मिल गया महबूब का दर
हमारा तो ठिकाना आ गया है
हम अपने आईने के रु-ब-रु हैं
निशाने पर निशान आ गया है
अँधेरा है घना हर और तो क्या
"किरण"को झिलमिलाना आ गया है
-डॉ कविता"किरण"
वाह किरण जी वाह लाजवाब शानदार धारदार एक से बढ़कर एक अशआर हैं हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteji shukriya arun ji apko gazal pan aayi..:)
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रेममयी प्रस्तुति...
ReplyDelete:-)
बहुत खूब. रस से भरी , प्रेम गगरी.
ReplyDeleteसादर
नीरज'नीर'
बहुत खूब.
ReplyDeletepratham avasar aapke geet "hathon me aagaya jo kal rumaal aapka..." se parichit hua ... saubhagya vash achanak hi Kota ke manch par aapko upasthit paya.......lambe antaral ke baad ek baar fir aapki rachnao ko sammukh paakar hardik ullasit anubhav karta hu...... prarthana karta hu.... shabd rachn jaari rahe.......
ReplyDeleteSharad Gupta
shukriya sharad ji..ap mere blog par aaye aur rachnao ko saraha...
Deleteबढ़िया नज्म..बधाई
ReplyDeleteji bahut bahut shukriya aur abhar aaderneey!!
ReplyDeleteBhut Sunder..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeletebeautiful,,,,
ReplyDeletesach me ,,kiran ko jhilmilana aa gaya hai
ReplyDeletewaah khoob kavita ji bahut achchhi gazal kahi hai
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