Monday, November 12, 2018

एक मुक्तक

अना  को भूल के दुश्मन का एहतराम करें
भला किसी को कहाँ तक हमीं सलाम करें
अजब है रस्म निभाना भी मुस्कुराना भी
चलो वफाओं का किस्सा यहीं तमाम करें
-कविता किरण

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (14-11-2018) को "बालगीत और बालकविता में भेद" (चर्चा अंक-3155) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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