ग़ज़ल
गुज़रो न बस क़रीब से ख़याल की तरह
आ जाओ ज़िंदगी में नए साल की तरह
कब तक किसी दरख़्त-से तने रहोगे तुम
झुक कर गले मिलो कभी तो डाल की तरह
आँसू छलक पड़ें न फिर किसी की बात पर
लग जाओ मेरी आँख से रूमाल की तरह
ग़म ने निभाया जैसे वैसे तुम निभाओ ना
मत साथ छोड़ जाओ अच्छे हाल की तरह
बैठो वफ़ा की बज़्म में भी दो घड़ी हुज़ूर
उठते हो बार-बार क्यों सवाल की तरह
अचरज करुँ "किरण" मैं जिसको देख उम्र-भर
हो जाओ ज़िंदगी में उस कमाल की तरह
- डॉ कविता'किरण'
बढ़िया !
ReplyDeleteVery Nice.....
ReplyDeleteबहुत प्रशंसनीय प्रस्तुति.....
मेरे ब्लाॅग की नई प्रस्तुति पर आपके विचारों का स्वागत...
Lovely lines
ReplyDeleteबहोत खूब! क्या बात हैं!
ReplyDeleteYour style is very unique in comparison to other people I’ve read stuff from. Thanks for posting when you’ve got the opportunity, Guess I will just bookmark this site.
ReplyDeleteHeart touching, amazing
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