कविता जी "काव्य रत्न" सम्मान प्राप्त करने पर बहुत बहुत बधाई...आपने अपने लिए जो पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं वो आपकी खुद्दारी को प्रदर्शित करती हैं...बहुत अच्छा लगा पढ़ कर. नीरज
कलम अपनी,जुबां अपनी, कहन अपनी ही रखती हूँ, अंधेरों से नहीं डरती 'किरण' हूँ खुद चमकती हूँ, ज़माना कागजी फूलों पे अपनी जां छिड़कता है मगर मैं हूँ की बस अपनी ही खुशबू से महकती हूँ
................................... क्या बात है आपका लेखन यक़ीनन इस पुरस्कार की हक़दार है बंधाई स्वीकारें
कविता जी "काव्य रत्न" सम्मान प्राप्त करने पर बहुत बहुत बधाई...आपने अपने लिए जो पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं वो आपकी खुद्दारी को प्रदर्शित करती हैं...बहुत अच्छा लगा पढ़ कर.
ReplyDeleteनीरज
बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई.
ReplyDeleteअपने बारे जो कहा
कलम अपनी ........ से महकती हूँ.
बेमिशाल.
Congrats!!!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteकविता, बहुत बधाई। इसी प्रकार मंजिले पार करती रहो, शुभकामनाएं।
ReplyDeleteइस उपलब्धि के लिए बधाई व भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएं, आपके साहित्य सृजन की ख्याति यूं ही चहुं ओर विकसित होती रहे।
ReplyDeleteबधाई।
ReplyDeleteसम्मान के लिये बधाई और नये साल की शुभकामनाये
ReplyDeletewah ...mahakti reho apni khsboo se etni mahko ki duniya jane ye kiran ki mahak hai ...wah ....acha hai ..
ReplyDeleteलोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएँ!
smaan ke liye badhayi...........
ReplyDeleteकविता जी
ReplyDelete"काव्य रत्न" सम्मान प्राप्त करने पर
बहुत-बहुत बधाई
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता'
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क्रियेटिव मंच
कलम अपनी,जुबां अपनी, कहन अपनी ही रखती हूँ,
ReplyDeleteअंधेरों से नहीं डरती 'किरण' हूँ खुद चमकती हूँ,
ज़माना कागजी फूलों पे अपनी जां छिड़कता है
मगर मैं हूँ की बस अपनी ही खुशबू से महकती हूँ
...................................
क्या बात है आपका लेखन यक़ीनन इस पुरस्कार की हक़दार है बंधाई स्वीकारें
bahut der se badhai
ReplyDeletesudhir
www.sahityavaibhav.com
bahut der se badhai
ReplyDeletesudhir
sahityavaibhav.com
bahut bahut badhai
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