Friday, January 22, 2010

एक ग़ज़ल श्रंगार की

मुझमें जादू कोई जगा तो है
मेरी बातों में इक अदा तो है

नज़रें मिलते ही लडखडाया वो
मेरी आँखों में इक नशा तो है

आईने रास गये मुझको
कोई मुझ पे भी मर मिटा तो है

धूप की आंच कम हुई तो क्या
सर्दियों का बदन तपा तो है

नाम उसने मेरा शमां रक्खा
इस पिघलने में इक मज़ा तो है

देखकर मुझको कह रहा है वो
दर्दे-दिल की कोई दवा तो है

उसकी हर राह है मेरे घर तक
पास उसके मेरा पता तो है

वो 'किरण' मुझको मुझसे मांगे है
मेरे लब पे भी इक दुआ तो है
************
डॉ कविता'किरण'



17 comments:

  1. "धूप की आंच कम हुई तो क्या
    सर्दियों का बदन तपा तो है"
    ग़ज़ल के तो मायने भी नहीं पता फिर भी वाह वाह किये बिना नहीं रह सका.
    कमतर है पर ये ही सही
    (आपने) अपने बारे में कुछ कहा तो है
    गुलाबी अल्फाजों में लिपटी शानदार ग़ज़ल के लिए आभार और धन्यवाद्.

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  2. शब्दों के मोतियों से सजी-सँवरी इस गजल के लिए मुबारकवाद!

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  3. किरण जी आपकी शायरी बहुत प्रभाव शाली है..हर शेर बेहद खूबसूरती से कहा गया है...कमाल है...वाह...
    नीरज

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  4. आनन्द आ गया..बहुत सुन्दर!!

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  5. मज़ा आ गया शेर पढ़ कर ......... नये अंदाज़ के शेर हैं ....... नयी ताज़गी लिए .... बहुत खूब .......

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  6. धूप की आंच कम हुई तो क्या
    सर्दियों का बदन तपा तो है"

    bahut hi khoobsurat sher kahe hai aapne gazal mein

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  7. बहुत अच्छी और सुंदर पंक्तियों के साथ बहुत ..... सुंदर पोस्ट....

    नोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ....

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  8. Ufff...
    kaash lafzon ki jadugari hume bhi aati
    to aapki tareef arna asaan hota..sirf behatareen kehna hi kafi nai hoga is ghazal ke liye..

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  9. kya baat ha kiran ji .......koi shabd hi nahi mil raha ha .......kya kahu

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  10. dhoop ki aanch kam hui to kya
    sardiyon ka badan tapa to hai

    waaaah waahhhhhh kya zaddozahad hai

    kabhee aayea kalaam-e-chauhan.blogspot.com miloonga waheen ....ab to mulakaat hoti rahegi

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  11. sahi kaha aap ne koi jaadu to he aap me

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  12. kavita ji aapki najm suni'fir tum vo hi baat karoge'bahut sunder aapki aawaj,madhur aur shabd to aise ki her aurat ko inki jaroorat padti hi rahti hai....

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  13. Kavitaji,
    youtube par aapki kayi ghazalen suni, kavitayen suni.
    Vriddhashram yakinan shresth rachna lagti hai,
    akshar ke aadeshon ko karti asweekar kalam pankti shresth lagi.
    mera naman sweekar karen.
    prakash chandalia
    kolkata

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  14. Shukriya Prakashji
    shukriya poonam ji..meri rachnaon ko aapne suna aur saraha...kripya aaage bhi apni ray se nawazte rahen..

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