मुझमें जादू कोई जगा तो है
मेरी बातों में इक अदा तो है
नज़रें मिलते ही लडखडाया वो
मेरी आँखों में इक नशा तो है
आईने रास आ गये मुझको
कोई मुझ पे भी मर मिटा तो है
धूप की आंच कम हुई तो क्या
सर्दियों का बदन तपा तो है
नाम उसने मेरा शमां रक्खा
इस पिघलने में इक मज़ा तो है
देखकर मुझको कह रहा है वो
दर्दे-दिल की कोई दवा तो है
उसकी हर राह है मेरे घर तक
पास उसके मेरा पता तो है
वो 'किरण' मुझको मुझसे मांगे है
मेरे लब पे भी इक दुआ तो है
************
डॉ कविता'किरण'
मेरी बातों में इक अदा तो है
नज़रें मिलते ही लडखडाया वो
मेरी आँखों में इक नशा तो है
आईने रास आ गये मुझको
कोई मुझ पे भी मर मिटा तो है
धूप की आंच कम हुई तो क्या
सर्दियों का बदन तपा तो है
नाम उसने मेरा शमां रक्खा
इस पिघलने में इक मज़ा तो है
देखकर मुझको कह रहा है वो
दर्दे-दिल की कोई दवा तो है
उसकी हर राह है मेरे घर तक
पास उसके मेरा पता तो है
वो 'किरण' मुझको मुझसे मांगे है
मेरे लब पे भी इक दुआ तो है
************
डॉ कविता'किरण'
"धूप की आंच कम हुई तो क्या
ReplyDeleteसर्दियों का बदन तपा तो है"
ग़ज़ल के तो मायने भी नहीं पता फिर भी वाह वाह किये बिना नहीं रह सका.
कमतर है पर ये ही सही
(आपने) अपने बारे में कुछ कहा तो है
गुलाबी अल्फाजों में लिपटी शानदार ग़ज़ल के लिए आभार और धन्यवाद्.
शब्दों के मोतियों से सजी-सँवरी इस गजल के लिए मुबारकवाद!
ReplyDeleteकिरण जी आपकी शायरी बहुत प्रभाव शाली है..हर शेर बेहद खूबसूरती से कहा गया है...कमाल है...वाह...
ReplyDeleteनीरज
बधाई!
ReplyDelete--
क्यों हम सब पूजा करते हैं, सरस्वती माता की?
लगी झूमने खेतों में, कोहरे में भोर हुई!
--
संपादक : सरस पायस
आनन्द आ गया..बहुत सुन्दर!!
ReplyDeleteWah Wah !
ReplyDeleteमज़ा आ गया शेर पढ़ कर ......... नये अंदाज़ के शेर हैं ....... नयी ताज़गी लिए .... बहुत खूब .......
ReplyDeleteधूप की आंच कम हुई तो क्या
ReplyDeleteसर्दियों का बदन तपा तो है"
bahut hi khoobsurat sher kahe hai aapne gazal mein
good
ReplyDeleteबहुत अच्छी और सुंदर पंक्तियों के साथ बहुत ..... सुंदर पोस्ट....
ReplyDeleteनोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ....
Ufff...
ReplyDeletekaash lafzon ki jadugari hume bhi aati
to aapki tareef arna asaan hota..sirf behatareen kehna hi kafi nai hoga is ghazal ke liye..
kya baat ha kiran ji .......koi shabd hi nahi mil raha ha .......kya kahu
ReplyDeletedhoop ki aanch kam hui to kya
ReplyDeletesardiyon ka badan tapa to hai
waaaah waahhhhhh kya zaddozahad hai
kabhee aayea kalaam-e-chauhan.blogspot.com miloonga waheen ....ab to mulakaat hoti rahegi
sahi kaha aap ne koi jaadu to he aap me
ReplyDeletekavita ji aapki najm suni'fir tum vo hi baat karoge'bahut sunder aapki aawaj,madhur aur shabd to aise ki her aurat ko inki jaroorat padti hi rahti hai....
ReplyDeleteKavitaji,
ReplyDeleteyoutube par aapki kayi ghazalen suni, kavitayen suni.
Vriddhashram yakinan shresth rachna lagti hai,
akshar ke aadeshon ko karti asweekar kalam pankti shresth lagi.
mera naman sweekar karen.
prakash chandalia
kolkata
Shukriya Prakashji
ReplyDeleteshukriya poonam ji..meri rachnaon ko aapne suna aur saraha...kripya aaage bhi apni ray se nawazte rahen..