फागुन की शाम आई फागुन की शाम
मस्ती में डूबा है सारा ब्रज-धाम
फागुन की शाम आई फागुन की शाम
कण-कण में गूँज रहा कान्हा का नाम
डाली पे झूल रहे मीठे अंगूर हैं
पर बागबानों के हाथों से दूर है
कजरारे नैनों में मदिरा भरपूर है
लज्जा की लाली से मुखड़ा सिन्दूर है
रसवंती राधा है मादक हैं श्याम
फागुन की शाम आई फागुन की शाम
नैनों में नैनो से रस-रंग घोलें
मदमाते मौसम में तन-मन भिगो लें
रंगों से बात करें मुख से न बोलें
होली में आ एक दूजे हो लें
हैं आम के आम गुठली के दाम
फागुन की शाम आई फागुन की शाम
जागी शिराओं में संवेदना है
विचलित है संयम विवश वर्जना है
तरुणाई पर हर मनोकामना है
हां का है दस्तूर ना-ना मना है
मनुहार में रूठने का क्या काम
फागुन की शाम आई फागुन की शाम
अनजानी आहट पे धडके जिया है
परदेस से लौट आया पिया है
कुछ द्वार ने देहरी से कहा है
संकोच ने फिर समर्पण किया है
पल-पल प्रणय हो लगे न विराम
फागुन की शाम आई फागुन की शाम
तन में तरंग, बजे मन में म्रदंग है
अम्बर के उर में भी जागी उमंग है
होली का अवसर है पावन प्रसंग है
और भावनाओं ने भी पी ली भंग है
कर कामनाओं की ढीली लगाम
फागुन की शाम आई फागुन की शाम
***********
(गीत संग्रह "ये तो केवल प्यार है" में से )
डॉ कविता'किरण'
मस्ती में डूबा है सारा ब्रज-धाम
फागुन की शाम आई फागुन की शाम
कण-कण में गूँज रहा कान्हा का नाम
डाली पे झूल रहे मीठे अंगूर हैं
पर बागबानों के हाथों से दूर है
कजरारे नैनों में मदिरा भरपूर है
लज्जा की लाली से मुखड़ा सिन्दूर है
रसवंती राधा है मादक हैं श्याम
फागुन की शाम आई फागुन की शाम
नैनों में नैनो से रस-रंग घोलें
मदमाते मौसम में तन-मन भिगो लें
रंगों से बात करें मुख से न बोलें
होली में आ एक दूजे हो लें
हैं आम के आम गुठली के दाम
फागुन की शाम आई फागुन की शाम
जागी शिराओं में संवेदना है
विचलित है संयम विवश वर्जना है
तरुणाई पर हर मनोकामना है
हां का है दस्तूर ना-ना मना है
मनुहार में रूठने का क्या काम
फागुन की शाम आई फागुन की शाम
अनजानी आहट पे धडके जिया है
परदेस से लौट आया पिया है
कुछ द्वार ने देहरी से कहा है
संकोच ने फिर समर्पण किया है
पल-पल प्रणय हो लगे न विराम
फागुन की शाम आई फागुन की शाम
तन में तरंग, बजे मन में म्रदंग है
अम्बर के उर में भी जागी उमंग है
होली का अवसर है पावन प्रसंग है
और भावनाओं ने भी पी ली भंग है
कर कामनाओं की ढीली लगाम
फागुन की शाम आई फागुन की शाम
***********
(गीत संग्रह "ये तो केवल प्यार है" में से )
डॉ कविता'किरण'
होली पर सूरत गीत ...होली की शुभकामनायें
ReplyDeleteरंगों से बात करें , मुख से न बोलें ...
ReplyDeleteहोली के रंग में रंगा बहुत अच्छी गीत ...
धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ !
बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteहोली के रंग में रंगा बहुत अच्छी गीत|
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें|
holi par likhi bahut achchi manbhavan rachna.
ReplyDeletewish you a very very happy holi.
होली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर होली गीत्…………होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteHoli ki shubhkamnao ke sath aap sabhi mitron ka hardik aabhar..:)
ReplyDeleteहोली पर बहुत प्यारा गीत ...
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें |
sundar holi geet....holi ki hardik shubh kamnae
ReplyDeleteमेरी प्रार्थना में....
ReplyDeleteहे प्रभु !मेरी प्रार्थना में
गरीबों को अनदेखा करने वाली
आँखों की पुतलियाँ फट जायें......
घूंस लेने वाले हाथ
कोहनी तक गल जायें...........
असहायों की चीख न सुनने वाले
कानो के परदे
दिमाग तक सड़ जायें .......
किसी मजबूर के सामने
पत्थर के माफिक
अपने में सक्षम -समर्थ
साहब और सरकार का
जो भ्रम पाल बैठे हैं
उनकी औलादें मर जायें .......
हे प्रभु ! मेरी प्रार्थना में
तेरे विश्वास पर
तुझसे न्याय की प्रतीक्षा में
जो आज भी
भूंखे-नंगे बैठे हैं
तू उनके लिए जगह छोड़
आब उन्हें भी मौका दे
एक बार वे भी भगवान् बन जायें.....अतुल
I like u very much as a poetess...
pls come to my blog atulkushwaha-resources.blogspot.com
डॉ कविता किरण जी नमस्कार। आज अचानक ही कुछ तलाशते हुए आप की गजलोें और कविताओं से नेट पर मुलाकात हो गई। सच में जितना अच्छा आप लिखती हैं उतना ही सुन्दर आप गजलों को आवाज भी देना जानती है पहले लिखने का शौक था आज भी है लेकिन जब से पत्रकारिता का दामन थामा है तब से तो खबरों में भी उलझ गए है लेकिन आप को आज सुना तो बहुत अच्छा लगा और अपने पुराने दिन याद आ गए। बस आप इसी प्रकार से लिखती रहें यू ही गुनगुनाती रहें ये ही दुआ है।
ReplyDeleteडॉ कविता किरण जी नमस्कार। आज अचानक ही कुछ तलाशते हुए आप की गजलोें और कविताओं से नेट पर मुलाकात हो गई। सच में जितना अच्छा आप लिखती हैं उतना ही सुन्दर आप गजलों को आवाज भी देना जानती है पहले लिखने का शौक था आज भी है लेकिन जब से पत्रकारिता का दामन थामा है तब से तो खबरों में भी उलझ गए है लेकिन आप को आज सुना तो बहुत अच्छा लगा और अपने पुराने दिन याद आ गए। बस आप इसी प्रकार से लिखती रहें यू ही गुनगुनाती रहें ये ही दुआ है।
ReplyDelete