संदली सांसों को चन्दन दे गया
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
पतझड़ी सपनो को सावन दे गया
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
मोम-सी पल-पल पिघलती रात में
जेठ में बरबस हुई बरसात में
लाजती आँखों में आँखें डालकर
कांपते हाथों को लेकर हाथ में
प्रीत का पावन प्रदर्शन दे गया
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
साँझ की निर्बंध अलकें बांधकर
मांग में ओठों से तारे टांगकर
मुग्ध कलिका पर भ्रमर कुछ यूँ हुआ
वर्जना के द्वार-देहरी लांघकर
भाल पर अधरों का अंकन दे गया
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
बाट प्रिय की जोहती मधुमास में
ज्यों हो चातक बादलों की आस में
लहर की बातों में बहकर आ गयी
प्रेम-तट पर प्राण तजती प्यास में
मीन को जल का प्रलोभन दे गया
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
आँख को स्वप्नों का अंजन दे गया
रूप को नयनों का दर्पण दे गया
साथ चलने का निमंत्रण दे गया
भेंट में पुश्तैनी कंगन दे गया
सात जन्मों का वो बंधन दे गया
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
*****************
[गीत संग्रह 'ये तो केवल प्यार है' में से]
डॉ कविता'किरण'
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
पतझड़ी सपनो को सावन दे गया
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
मोम-सी पल-पल पिघलती रात में
जेठ में बरबस हुई बरसात में
लाजती आँखों में आँखें डालकर
कांपते हाथों को लेकर हाथ में
प्रीत का पावन प्रदर्शन दे गया
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
साँझ की निर्बंध अलकें बांधकर
मांग में ओठों से तारे टांगकर
मुग्ध कलिका पर भ्रमर कुछ यूँ हुआ
वर्जना के द्वार-देहरी लांघकर
भाल पर अधरों का अंकन दे गया
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
बाट प्रिय की जोहती मधुमास में
ज्यों हो चातक बादलों की आस में
लहर की बातों में बहकर आ गयी
प्रेम-तट पर प्राण तजती प्यास में
मीन को जल का प्रलोभन दे गया
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
आँख को स्वप्नों का अंजन दे गया
रूप को नयनों का दर्पण दे गया
साथ चलने का निमंत्रण दे गया
भेंट में पुश्तैनी कंगन दे गया
सात जन्मों का वो बंधन दे गया
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
*****************
[गीत संग्रह 'ये तो केवल प्यार है' में से]
डॉ कविता'किरण'
बहुत ही सुंदर और भावपू्र्ण रचना..दिल को छु गयी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद|
ReplyDeleteअनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
ReplyDeleteसात जन्मों का वो बंधन दे गया ...
बहुत सुंदर रचना ...
bahut pyaari rachna really incredible.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteकविता मेम !
ReplyDeleteनमस्कार !
अनछुआ स्पर्श सिहरन दे गया
सात जन्मों का वो बंधन दे गया .
बहुत सुंदर रचना !
सादर !
KHUBSOORAT.... ehsaas......
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत और मनभावन कविता.
ReplyDeleteसादर
Kya Kahar Karta Kavita Kiran Ki Kalam Ka Kamal.
ReplyDelete-----Mitra Radhey Shyam Gomla
Kya Kahar Karta Kavita Kiran Ki Kalam Ka Kamal
ReplyDelete---Mitra Radhey Shyam Gomla
---rsgomla9@gmail.com
facebook--gomla Radheshyam
वाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeletebahut sunder kavita ....
ReplyDeleteलालित्य पूर्ण शब्द-चयन,छंद,प्रवाह,यति,गति भाव,कल्पना -पूर्ण कविता मंत्र मुग्ध कर गई.
ReplyDeleteअति सुन्दर ,वाह क्या बात है। बधाई
ReplyDeleteबहुत अच्छा है |
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