Thursday, December 1, 2011

जब जब आंख में आंसू आए


जब जब आंख में आंसू आए
तब तब लब ज्यादा मुस्काए

नहीं संभाला उसने आकर
हम ठोकर खाकर पछताए

कितने भोलेपन में हमने
इक पत्थर पे फूल चढाए

चाहत के संदेसों संग अब
रोज कबूतर कौन उडाए

नाम किसी का अपने दिल पर
कौन लिखे और कौन मिटाए

वो था इक खाली पैमाना
देख जिसे मयकश ललचाए

वक्त बदल ना पाये अपना
खुद को ही अब बदला जाए

कुछ तो दुनियादारी सीखो
कौन ‘किरण’ तुमको समझाए
---कविता‘किरण’






3 comments:

  1. aap aaj mahilayo ke liye udaharan hai ki
    Rona hamari fitrat me nahi
    Hum apna makam bana lete hai
    Jamane me kitane hi muskile sahi
    Hum aapna pahchan bana hi lete hai.....

    Subhkamnaye----------
    Pankaj Poddar

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  2. भावों से नाजुक शब्‍द को बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने.........

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