
जब जब आंख में आंसू आए
तब तब लब ज्यादा मुस्काए
नहीं संभाला उसने आकर
हम ठोकर खाकर पछताए
कितने भोलेपन में हमने
इक पत्थर पे फूल चढाए
चाहत के संदेसों संग अब
रोज कबूतर कौन उडाए
नाम किसी का अपने दिल पर
कौन लिखे और कौन मिटाए
वो था इक खाली पैमाना
देख जिसे मयकश ललचाए
वक्त बदल ना पाये अपना
खुद को ही अब बदला जाए
कुछ तो दुनियादारी सीखो
कौन ‘किरण’ तुमको समझाए
---कविता‘किरण’
तब तब लब ज्यादा मुस्काए
नहीं संभाला उसने आकर
हम ठोकर खाकर पछताए
कितने भोलेपन में हमने
इक पत्थर पे फूल चढाए
चाहत के संदेसों संग अब
रोज कबूतर कौन उडाए
नाम किसी का अपने दिल पर
कौन लिखे और कौन मिटाए
वो था इक खाली पैमाना
देख जिसे मयकश ललचाए
वक्त बदल ना पाये अपना
खुद को ही अब बदला जाए
कुछ तो दुनियादारी सीखो
कौन ‘किरण’ तुमको समझाए
---कविता‘किरण’
aap aaj mahilayo ke liye udaharan hai ki
ReplyDeleteRona hamari fitrat me nahi
Hum apna makam bana lete hai
Jamane me kitane hi muskile sahi
Hum aapna pahchan bana hi lete hai.....
Subhkamnaye----------
Pankaj Poddar
baa bahot sunder likhi hain......
ReplyDeleteभावों से नाजुक शब्द को बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने.........
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