Wednesday, February 1, 2012

तेरे बारे में सबसे पूछूं हूँ....


तेरे बारे में सबसे पूछूं हूँ
तू
है मुझमे तुझी को खोजूं हूँ

है नज़र तू ही तू नज़ारा भी
हर तरफ सिर्फ तुझको देखूं हूँ


मेरा चेहरा चमक उठे जानम
तेरे बारे मे जब भी सोचूं हूँ

तेरे दीदार को है बेकाबू
बडी मुश्किल से दिल को रोकू हूँ

ख़त लिखूं हूँ तुझे ख़यालों में

और खयालों में तुझको भेजू हूँ


बेख़ुदी का मेरी ये आलम है

तू कहां है तुझी से पुछूं हूँ

मुझको तुझसे ही कब मिली फुरसत
अपने बारे में कब मैं सोचूं हूँ


मौत को जी रही हूँ मैं पल पल

यूँ मज़े जिंदगी के लूटूं हूँ

मैं ‘किरण’ उसकी याद का स्वेटर

कभी खोलूं कभी समेटूं हूँ
********
कविता'किरण'

9 comments:

  1. बहुत ही खुबसूरत
    और कोमल भावो की अभिवयक्ति...

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  2. lazabab......khaskar antim do pangtiyan.

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  3. kiran jee namaskaar . aaj pahalee baar aapko padha aur sunaa . waakaee shbda nahi hai mere pass jinase ham aapki taarif karen... bahut beharateen aur man ko sukoon dene waalee gajal lagee aapakii...

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  4. बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति। धन्यवाद।

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  5. अति सुन्दर अभिव्यक्ति। मानव मन की
    भिन्न - भिन्न मनोदशाऔं चित्रण बड़ी
    ही सहजता के साथ किया गया है।
    धन्यवाद।
    आनन्द विश्वास

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  6. आप इतना खूबसूरत कैसे लिख लेती हैं ?

    http://ntyag.blogspot.in/

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