
कलेजा मुंह को ए सरकार आया
है मुट्ठी में दिले-बेज़ार आया
हुआ इस दौर में दुश्वार जीना
ये दिल सजदे में साँसे हार आया
मेरे इज़हार के बदले में या रब!
तेरी जानिब से बस इन्कार आया
ख़ता मैं हूँ ख़ुदा तू है मुआफी
तेरे दम से ही बेड़ा पार आया
जिन्हें परहेज था मेरे सुख़न से
उन्हें ही आज मुझ पर प्यार आया
"किरण" जो भी गया तुझको मिटाने
वो जानो-दिल तुझ ही पे वार आया
*******
कविता'किरण'
है मुट्ठी में दिले-बेज़ार आया
हुआ इस दौर में दुश्वार जीना
ये दिल सजदे में साँसे हार आया
मेरे इज़हार के बदले में या रब!
तेरी जानिब से बस इन्कार आया
ख़ता मैं हूँ ख़ुदा तू है मुआफी
तेरे दम से ही बेड़ा पार आया
जिन्हें परहेज था मेरे सुख़न से
उन्हें ही आज मुझ पर प्यार आया
"किरण" जो भी गया तुझको मिटाने
वो जानो-दिल तुझ ही पे वार आया
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कविता'किरण'
Aapka yeh block evam is par diye gaye vichar atyant prashanshniya hain!
ReplyDeleteवाह...बहुत सार्थक ग़ज़ल का
ReplyDeleteशब्द शब्द बाँध लेता है ...बधाई स्वीकारें