Wednesday, August 26, 2009

जिंदगी को इक नया-सा मोड़ दे


जिंदगी को इक नया-सा मोड़ दे
अपनी कश्ती को भंवर में छोड़ दे

हौसले की इक नई तहरीर लिख
खौफ की सारी हदों को तोड़ दे

फ़िर किसी इज़हार को स्वीकार कर
इक नए रिश्ते से रिश्ता जोड़ दे


जिसका हासिल हार केवल हार है
क्यों भला जीवन को ऐसी होड़ दे


सब्र के प्याले की मानिंद जा छलक
अपनी सोई रूह को झिंझोड़ दे

जिंदगी के मस अलों का ऐ 'किरण'
दे कोई अब हल मगर बेजोड़ दे
--------------------------------डॉ.कविता'किरण'

11 comments:

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  2. jindgi ko ik naya sa mod de
    apni kashti ko bhanwer me chod de
    housle ki ik nai tahreer likh
    khouf ki sari hadon ko tod de.
    =====================dr.kavita'kiran'

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  3. हौसले की इक नई तहरीर लिख
    खौफ की सारी हदों को तोड़ दे

    superb

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  4. All are very Superb............ superbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbb..............................

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  5. सुनील राजपूत
    सारी कविता बहुत खुबसूरत है परन्तु आपसे खुबसूरत नहीं है.....................

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  6. २६ वी जयजयवंती साहित्य संगोष्ठी जो दिनांक १६/ ११/२००९ को दिल्ली मे आयोजित हो रही है में आपके काव्य संग्रह " ये तो केवल प्यार है " के विमोचन पर हार्दिक बधाई ! आप ऐसे ही बार बार आपकी जिंदगी में आये यह कामना करते है !
    आपका ही
    शिशिर पंडित

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  7. shukriya shishir ji.aapki shubhkamnao ke liye.

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  8. dil se nikli dil ki baat.....apki ek lajwab rachna.....

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  9. बहुत हे प्यारा लिखा है कविता जी आपने बस हम तो यही चाहेंगे की आप हमेसा ऐसा हे लिखती रहे ,वेसे ये सच ही है की इन्सान जितना जाएदा खुबसूरत होता है उतना ही खुबसूरत वो सोचता है और वही वो लिखता है ,सच में आपका दिल हे इतना अच्छा है इसलिये आप लिखती भी उत हे अच्छा है.......

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