डूबना तेरे ख्यालों में भला लगता है
तेरी यादों से बिछड़ना भी सजा लगता है
जो भी मिलता है सनम तुझ पे फ़िदा लगता है
तेरी सूरत में है पोशीदा खुदा लगता है
दिल में, धड़कन में, निगाहों में छुपा लगता है
मुझमें रहता है मगर कौन मेर लगता है
क्यों क़दम मेरे तेरी और खिंचे आते हैं
तेरे घर का कोई दरवाज़ा खुला लगता है
जब तेरा ख्वाब हो आबाद मेरी पलकों में
दिल भी धडके तो निगाहों को बुरा लगता है
लड़खड़ा जाएँ क़दम साँस भी हो बेकाबू
जब शहर में तेरे आने का पता लगता है
ऐ 'किरण' खूब जहाँ में हैं ग़ज़ल गो लेकिन
तेरा अंदाज़ ज़माने से जुदा लगता है
**************
डॉ कविता 'किरण'
तेरी यादों से बिछड़ना भी सजा लगता है
जो भी मिलता है सनम तुझ पे फ़िदा लगता है
तेरी सूरत में है पोशीदा खुदा लगता है
दिल में, धड़कन में, निगाहों में छुपा लगता है
मुझमें रहता है मगर कौन मेर लगता है
क्यों क़दम मेरे तेरी और खिंचे आते हैं
तेरे घर का कोई दरवाज़ा खुला लगता है
जब तेरा ख्वाब हो आबाद मेरी पलकों में
दिल भी धडके तो निगाहों को बुरा लगता है
लड़खड़ा जाएँ क़दम साँस भी हो बेकाबू
जब शहर में तेरे आने का पता लगता है
ऐ 'किरण' खूब जहाँ में हैं ग़ज़ल गो लेकिन
तेरा अंदाज़ ज़माने से जुदा लगता है
**************
डॉ कविता 'किरण'
bahut badiya Kiran ji
ReplyDeleteबेहतरीन। लाजवाब।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सटीक रचना लिखी है आपने!
ReplyDeleteप्रेम दिवस की हार्दिक बधाई!
तेरे घर का दरवाजा खुला सा लगता है ....
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत शेर .. प्रेम के रंग में रंगी आई ग़ज़ल आज .... बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल ...
bahut sundar.
ReplyDeleteवेलेंटाइन-डे पर बेहतरीन प्रस्तुति...वेलेंटाइन-डे की शुभकामनायें !!
ReplyDeleteहर रंग को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeletesabhi achchhe lage khaskar ye sher-
ReplyDeleteaankh angoori hui....
किरण जी इस ग़ज़ल के किसी एक शेर को लाख कोशिशों के बावजूद अलग से कोट नहीं कर पा रहा हूँ क्यूँ की इस ग़ज़ल के सारे शेर प्यार की चाशनी में लिपटे हुए हैं. और कमाल के कहे हैं आपने...बेहतरीन ग़ज़ल है और हर शेर बार बार पढ़ कर गुनगुनाने का जी चाहे ऐसा है ...दाद कबूल करें.
ReplyDeleteनीरज
प्रेम ही सत्य और शास्वत है
ReplyDeleteकविता जी
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ |
अपढ़ कर मजा आया ...................
लडखडा जाएँ कदम साँस भी हो बेकाबू |
जब शहर में तेरे आने का पता लगता है |
बहुत खबसूरत गजल
आभार .....................
bahut achcha likha hai aapne
ReplyDeleteबहुत बढ़िया और उम्दा गजल। बधाई।
ReplyDeleteलुट गई मेरी दुनिया तेरे ख्यालों में
ReplyDeleteअब कोई उजड़े चमन का हिसाब कहां रखता है
विमला भंडारी, सलूम्बर
shukria kavita,
ReplyDeletetumne mumbai kavi sammelan mein mujhe apni kitab jahan bhijvane ko di thi wahan pahunchane se pahele maine padh li,usme bhi sab gazalein umda lagin aur tumhare blog par bhi padh kar anand aaya.
nice
ReplyDeletehmmm..realy very good poem...
ReplyDeleteif u get time do visit my blog.
http://priyanka-colorsoflife.blogspot.com/
wah..kavita ji wah....
ReplyDeleteजब तेरा ख्वाब हो आबाद मेरी पलकों में
ReplyDeleteदिल भी धड़के तो निगाहों को बुरा लगता है...
कविता जी.....पूरी ग़ज़ल पर भारी है
इस एक शेर की नाज़ुकी.
आज नीरज जी के ब्लॉग पर किताबों की दुनिया के नए अंक पर आपको पढ़ा और पढ़ कर दिल बाग बाग हो गया
ReplyDeleteपता नहीं आपका ब्लॉग पढने से मैं कैसे चूक गया
अब ब्लॉग फालो कर लिया है जल्द ही पुराणी पोस्ट पढ़ने आउंगा
आपका वीनस केशरी
कविता जी ,पहली बार यहां आई हूं ,सोच रही हूं पहले क्यों नहीं आई
ReplyDeleteबहुत अच्छी ग़ज़ल ख़ास तौर से
डूबना तेरे.............
और
जब तेरा ख़्वाब...............
ये दो शेर तो जान हैं ग़ज़ल की
http://www.ismatzaidi.blogspot.com/
कभी यहां भी वक़्त निकाल कर तशरीफ़ लाइए
शुक्रिया
जब तेरा खाब हो आबाद मेरी पलकों में
ReplyDeleteदिल भी धडके तो निगाहों को बुरा लगता है
वाह-वा !!
ऐसे दिल-फरेब शेर की
तारीफ़ के लिए कुछ खूबसूरत लफ्ज़
ढून्ढ पाने की फ़िराक में हूँ...
फिलहाल यही कहता हूँ
मुबारकबाद
जब तेरा ख्वाब हो आबाद मेरी पलकों में
ReplyDeleteदिल भी धडके तो निगाहों को बुरा लगता है
wah !! kya baat hein..
kash yah Ghazal Jagjeet Ji ki aavaaj me sunne ko bhi mile !!
Shukriya share karne ke liye.
BAHOOT KHOOB WALI BAAT HAI JI..
ReplyDeleteKUNWARJI,
ताज़ातरीन भी है और बेहतरीन भी है!!
ReplyDeleteआपकी ये गज़ल, वाक़ई हसीन भी है !
बहुत बढ़िया और उम्दा गजल के लिए बधाई।
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
जब तेरा खाब हो आबाद मेरी पलकों में ,
ReplyDeleteदिल भी धड़ाके तो निगाहों को बुरा लगता है...
इस शे'र की नजाकत को जीस तरह से संभाल के आपने सामने रखा है करोडो दाद इस कामयाबी के लिए...बहुत खूबसूरत अश'आर ... बधाई... आप गुडगाँव आयी थी ना कटिया पथ करने ..?
आपका
अर्श
kavita ji aapko mere blog me shamil kar liya hai, aap mujhe mere blog ke bare me koi sujhav ho to jarur dijiye mera email pata hai nabi.gulam86@gmail.com
ReplyDeleteshukriya
bahot khub.aapko yaha milk k khushi hui.aapke bayan jazbatooko ko hub hu darsata he.meri bht subh kaamnaye.
ReplyDeleteaankh anngoori hui, hoth hue angare
ReplyDeletetune kano me koi sher kaha lagta hai
achha sher hai kiran jee........
waaaaaaaah
बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने!
ReplyDeleteप्रेम दिवस की हार्दिक बधाई!
very nice composition kavita ji....... great...
ReplyDeleteTera andaaz jamaane se juda lagta hai...
ReplyDeleteBilkul apki tarah bahut khoobsoorat....Congrats
Atul
mam kya mai bhi aapki tarah dil ki bat juban par nahi la sakata kya...........?
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