ज़ख्म ऐसा जिसे खाने को मचल जाओगे
इश्क की राहगुज़र पे न संभल पाओगे
इश्क की राहगुज़र पे न संभल पाओगे
मैं अँधेरा सही सूरज को है देखा बरसों
मेरी आँखों में अगर झांकोगे जल जाओगे
ye sher mere pasandeeda gazal gayak gulam ali sahab ke liye
ye sher mere pasandeeda gazal gayak gulam ali sahab ke liye
मैंने माना कि हो पहुंचे हुए फनकार मगर
एक दिन मेरी किताबों से ग़ज़ल गाओगे
इतना कमसिन है मेरे नगमों का ये ताजमहल
तुम भी देखोगे तो ऐ दोस्त! मचल जाओगे
ऐ 'किरण' चाँद से कह दो कि न इतरो इतना
रात-भर चमकोगे कल सुबह तो ढल जाओगे
************* डॉ कविता'किरण
chand ko kah do ki itna na itrao,
ReplyDeleteraat bhar chamkoge subh dhal jaoge!!
wah kiran ji aanand aa gaya kya sher likha hai aapne... woh subh kab aayegi jab chand dhal jayega....
badhai ho... behtrin gzal ke liye
gulam nabi
www.gulamnabi86.blogspot.com
ग़ज़ल दिल को छू गई।
ReplyDeleteबेहद पसंद आई।
मैंने माना कि हो पहुंचे हुए फनकार मगर
ReplyDeleteएक दिन मेरी किताबों से ग़ज़ल गाओगे
वाह क्या जज़्बा है, आमीन.
ग़ज़ल दिल को छू गई।
ReplyDeleteबेहद पसंद आई।
बहुत सुन्दर और मनभावन रचना!
ReplyDeleteभारतीय नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
bahu hi sundar gazal.
ReplyDeletekamaal ki rachanaa kavita ji .... gulam ali sahab ke liye jo she'r kahaa hai rashk ho rahaa hai uspar wo mere bhi pasandidaa gazal gayak hain... badhaayee kubul karen...
ReplyDeletearsh
मैंने माना कि हो पहुंचे हुए फनकार मगर
ReplyDeleteएक दिन मेरी किताबों से ग़ज़ल गाओगे
बहुत कुछ है इसमें !
इतना कमसिन है मेरे नगमों का ये ताजमहल
ReplyDeleteतुम भी देखोगे तो ऐ दोस्त! मचल जाओगे
सुन्दर भावाभिव्यक्ति बेहतरीन गजल
lively poem. badhai!!
ReplyDeleteमैं अँधेरा सही सूरज को है देखा बरसों
ReplyDeleteमेरी आँखों में अगर झांकोगे जल जाओगे
I dedicate this one to myself :)
bahut khoob !
ReplyDeleteपूरी गजल बहुत ही खूबसूरती से रची गयी है----हार्दिक बधाई।
ReplyDeletebahut khoob kaha kavitaji aap jo likhte hei aisa lagta hei mano mere dil mei bhi to kahi aise vichar aaye the aapne mere mann ki bat kahi isake liye aapko dhanyawaad itna achche dhang se aapne sab kuch kah diya ki padh kar dil ko bhaa gaya ........... Aap aise hi likhte rahe and hum aise hi padhte rahe evam hamara sath bana rahe chir kaal tak ........... aapka apana shishir
ReplyDeleteडॉक्टर कविता किरणजी का चिट्ठा जगत में स्वागत है. आपकी ग़ज़ल बहुत अच्छी है.
ReplyDelete"चाँद गर होगा नहीं तो क्या किरण कैसी किरण
फिर नहीं कहना कभी ए चाँद तुम ढल जाओगे "
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतज़ार रहेगा.
www.jogeshwargarg.blogspot.com
kiran sirf chand ki hi nahi. suraj ki bhi hoti hai.shayed wahi main hun.
ReplyDeleteकैसा अजीब ये जूनून, मेरे दिल में समाया |
ReplyDeleteहजारो चहरो में बस तेरा ही चेहरा भाया ||
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
इतना कमसिन है मेरे नगमों का ये ताजमहल
ReplyDeleteतुम भी देखोगे तो ऐ दोस्त! मचल जाओगे...
इस अंदाज़ के शेर पर दाद कुबूल फ़रमाईयेगा
ग़ज़ल का हर शेर बेहतरीन शायरी का सबूत है...
ऐ 'किरण' चाँद से कह दो कि न इतरो इतना
ReplyDeleteरात-भर चमकोगे कल सुबह तो ढल जाओगे
kamaal kar dia aapne.kya sayari hai
adaab
Kavita Ji , Apki Shayri Me Dard HAi jo Dil ko chu leta hai all poetry are fabiloious & Cute Pls send me some poets on my email is ankush1087@gmail.com , i am waiting for ur mail
ReplyDeleteAap ke liye me to etna hi khunga k.........
ReplyDeleteA aasma ke chand etna na etra, jmin pe bhi chand rehte he.
tuj me to daag he mager yha bEDAAG REHTE HEN.
wakei me aap ki shayry me jo dard chupa he wh ek jjba he. Very nice. and good wishis for you.
kahna to ashan hian magar koun kar gujarega
ReplyDeleteye to wakt hi batyega ki koun khara utrega...