यह तो अच्छी बात है.. दर्द को पनाह क्यों कर देना चाहेगा अब यह तो पता करना ही होगा कि दर्द का नया ठौर-ठिकाना कहां है. आपकी कविता कम शब्दों के बावजूद कई फलक खोलने का काम करती है. आपकी कविता को लेकर तीन-चार बातें सोच रहा हूं फिलहाल तो इतना ही कि आपको एक शानदार रचना के लिए बधाई.
बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
ReplyDeletewaah!
ReplyDeletekhoobasoorat panktiyaan!
वाह...बहुत खूब...
ReplyDeleteअब ,
वो दर्द
दूसरे के
दिल में
पलता है ...:):)
अब दर्द दिल सहित दूसरे के दिल में पलता है ...!
ReplyDeleteDarde dil kee dardbhari ukti...
ReplyDelete'दर्द'!
ReplyDeleteतुझको
पनाह देने को
एक दिल था
उसे भी दे डाला
कब्रिस्तान मे
घर नही बना करते
बेहद उम्दा प्रस्तुति।
आपकी रचना और ब्लॉग का बदला स्वरुप अच्छा लगा...
ReplyDeleteनीरज
बेहद ख़ूबसूरत...
ReplyDeleteयह तो अच्छी बात है..
ReplyDeleteदर्द को पनाह क्यों कर देना चाहेगा
अब यह तो पता करना ही होगा कि दर्द का नया ठौर-ठिकाना कहां है.
आपकी कविता कम शब्दों के बावजूद कई फलक खोलने का काम करती है.
आपकी कविता को लेकर तीन-चार बातें सोच रहा हूं
फिलहाल तो इतना ही कि आपको एक शानदार रचना के लिए बधाई.
दर्द को बेघर कर दिया । अच्छी रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत उम्दा ..
ReplyDeleteचलो अब दर्द से सामना तो नहीं होना होगा
sahyd dard ki abhvyakti isse achi ho hi nahi sakti
ReplyDelete'दर्द'!
तुझको
पनाह देने को
एक दिल था
उसे भी दे डाला
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डॉ कविता'किरण'
ati sunder Di
बहुत खूब .... लाजवाब ...
ReplyDeleteवाह...............शानदार अभिव्यक्ति.....!!
ReplyDeleteकविता जी ,
ReplyDeleteप्रणाम !
आप के नज़र ये पंक्तियां ''' मेरे सीने में जब भी दर्द उठा लगा तुमने याद किया मुझे ''
एक पंक्ति में बहुत कुछ कह दिया ,
साधुवाद
Love can never grow without pain !!!!
ReplyDeleteLove is painful
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