'हुडदंग २००९'इलाहबाद होली के अवसर पर आयोजित कवि सम्मलेन के मंच पर
गज़ल
वापस न लौटने की ख़बर छोड़ गए हो
गज़ल
वापस न लौटने की ख़बर छोड़ गए हो
मैंने सुना है तुम ये शहर छोड़ गए हो
दीवाने लोग मेरी कलम चूम रहे हैं
तुम मेरी ग़ज़ल में वो असर छोड़ गए हो
सारा ज़माना तुमको मुझ में ढूंढ रहा है
तुम हो की ख़ुद को जाने किधर छोड़ गए हो
दामन चुरानेवाले मुझको ये तो दे बता
क्यों मेरे पीछे अपनी नज़र छोड़ गए हो
मंजिल की है ख़बर न रास्तों का है पता
ये मेरे लिए कैसा सफर छोड़ गए हो
ले तो गए हो जान-जिगर साथ ऐ 'किरण'
ले जाओ अपना दिल भी अगर छोड़ गए हो
*****************
डॉ कविता'किरण'
दीवाने लोग मेरी कलम चूम रहे हैं
तुम मेरी ग़ज़ल में वो असर छोड़ गए हो
सारा ज़माना तुमको मुझ में ढूंढ रहा है
तुम हो की ख़ुद को जाने किधर छोड़ गए हो
दामन चुरानेवाले मुझको ये तो दे बता
क्यों मेरे पीछे अपनी नज़र छोड़ गए हो
मंजिल की है ख़बर न रास्तों का है पता
ये मेरे लिए कैसा सफर छोड़ गए हो
ले तो गए हो जान-जिगर साथ ऐ 'किरण'
ले जाओ अपना दिल भी अगर छोड़ गए हो
*****************
डॉ कविता'किरण'
yad rakhenge ham tumhaaree ye kavitaa
ReplyDeleteham par to aap aisaa asar chhod gaye ho
dil ek tha usko to apne saath le gaye
ab hame tum kiske bharose chhod gaye ho
holee pe suna dee ek gambheer see gazal
mahfil ko madhosh tanhaa chhod gaye ho
ek shaayraa bhee thi chakradhar ke sang
mehfil ko laga char chand chhod gaye ho
bahut khoob..... especially :
ReplyDelete''deewane log meri kalam choomte hain...
tum meri ghazal mein wo asar chhod gaye ho...''
thanx sharma sahib thanx ankit.for appriciating my gazal.
ReplyDeleteदीवाने लोग मेरी कलम चूम रहे हैं
ReplyDeleteतुम मेरी ग़ज़ल में वो असर छोड़ गए हो
सारा ज़माना तुमको मुझ में ढूंढ रहा है
तुम हो की ख़ुद को जाने किधर छोड़ गए हो
दामन चुरानेवाले मुझको ये तो दे बता
क्यों मेरे पीछे अपनी नज़र छोड़ गए हो
मंजिल की है ख़बर न रास्तों का है पता
ये मेरे लिए कैसा सफर छोड़ गए हो
ले तो गए हो जान-जिगर साथ ऐ 'किरण'
ले जाओ अपना दिल भी अगर छोड़ गए हो
har panktiyon ne man ko moh liya....
bahut hi brehtareen bhaavabhivyakti ke saath......ek bahut hi khoobsoorat ghazal...
दीवाने लोग मेरी कलम चूम रहे हैं
ReplyDeleteतुम मेरी ग़ज़ल में वो असर छोड़ गए हो
बहुत खूब कविता जी क्या शेर कहा है...वाह...आपकी ग़ज़ल के सारे शेर कमाल के हैं....दाद कबूल कीजिये...
नीरज
Deewane log meri qalam choom rahe hain, tum meri gazal mein wo asar chodd gaye ho...
ReplyDeletesara zamana tujhko mujhme dhoond raha hai..
tum ho ki khud ko jane kidhar chodd gaye ho..
mohabbat ki atma koot koot kar bhari hai in sheron mein
pas ane lage indradhanush barf aur fool, titliyan..tum meri qalam mein woh rang chodd gaye ho :)
आपके ब्लॉग पर आपने जो गजल पोस्ट की है वो बहुत ही अच्छे ढंग से लिखी है ले जाओ अपना दिल भी अगर छोड़ गए हो पढ़ कर ऐसा लगता है की कही ये मेरे ही मन के भाव तो नहीं है, गजल दिल को छु गई ! आपने इस गजल में जो लिखा है उसे पढ़ कर लगता है की यह आपने अपने दिल की गहराइयो मे डूब कर कलम से कागज पर उतारा है ! इस प्रथ्वी के रचिता से मे यही प्रार्थना करता हु की आप इसी तरह नायाब गजल एवं कविताये लिखते रहे ! आप भी इश्वर से हमारी कुशलता की कामना करे ताकि हम आपकी रचनाओ को ऐसे ही पढ़ते रहे ! एक बार पुनः अच्छी रचना के लिए साधुवाद ! आपके ब्लॉग पर अगली पोस्ट के इंतजार में ..........
ReplyDeleteआपका ही
शिशिर पंडित
दिल वापस कैसे ले जाएं, वो तो तुम्हारे पास ही छोड़ दिया है। बहुत अच्छा विचार, कविता।
ReplyDelete"दीवाने लोग मेरी क़लम चूम रहे हैं...."
ReplyDeleteइस एक अकेले मिसरे का ही कोई
जवाब नहीं है ...अपने आप में नायाब ..
पूरी ग़ज़ल आपके उम्दा जज़्बात की
अक़्क़ासि करने में कामयाब बन पड़ी है
मुबारकबाद कुबूल फरमाएं
Bahut behtarinn gazal gazal likhi hai kavita ji...thanx for sharing...
ReplyDeleted most beautiful lines:
"deewane log meri kalam chum rahe hai
tum meri gazal me wo asar chod gaye ho"
tere jaane ne hume mashhoor kar diya....
..."le jaao apna dil agar chod gaye ho"
koi saani nahi uske andaj ka dilbarana bhi hai katilana bhi hai..
दामन चुरानेवाले मुझको ये तो दे बता
ReplyDeleteक्यों मेरे पीछे अपनी नज़र छोड़ गए हो
मंजिल की है ख़बर न रास्तों का है पता
ये मेरे लिए कैसा सफर छोड़ गए हो
ले तो गए हो जान-जिगर साथ ऐ 'किरण'
ले जाओ अपना दिल भी अगर छोड़ गए हो
लिखा है हाले-दिल लाजवाब
deewane log meri kalam choom rehe hai ye tum ...apna asar chodd gaye ho ...wah kiran ji wah ...mohabbat ka bayan kitni gahrai aur sanjidgi se kiyahai behtreen .....मंजिल की है ख़बर न रास्तों का है पता
ReplyDeleteये मेरे लिए कैसा सफर छोड़ गए हो.......wakai aap..per ye etna asar kisne chodda ..gazal ka her sher umdaa hai ...
shukriya rakeshji.mujh per to sabse gahra asar apni hi zindgi ka hai.
ReplyDeleteव्यर्थ नहीं है -
ReplyDeleteआपकी कविता बहुत हौसला बढ़ाने वाली हैं. कविता जी आप में जो काव्य-शक्ति है , वह अप्रतिम है. मैं पढ़ कर अभिभूत हूँ , सुनने वालों के हाल का अंदाज़ लगा सकती हूँ .
Aparna Bhatnagar