Wednesday, February 3, 2010

बात छोटी है मगर सादा नहीं....


बात छोटी है मगर सादा नहीं
प्यार में हो कोई समझौता
नहींतुम पे हक हो या फलक पे चाँद होचाहिए पूरा मुझे आधा नहींदिल के बदले दांव पर दिल ही लगे
इससे कुछ भी कम नहीं ज्यादा नहींमर मिटे हैं जो मेरी मुस्कान पर
उनको मेरे ग़म का अंदाज़ा नहीं इक न इक दिन टूट जाना है 'किरण'
इसलिए करना कोई वादा नहीं
**********************
डॉ कविता'किरण'

26 comments:

  1. कविता इस बेहद खूबसूरत ग़ज़ल के दिली दाद कबूल करें. सारे के सारे शेर असरदार हैं इसलिए एक आध को कोट नहीं कर रहा.
    मतले में काफिया "ज़ा" और रदीफ़ "नहीं" आ रहा है...ये काफिया बाद में नहीं निभाया गया...हिंदी ग़ज़ल में शायद ये ठीक हो लेकिन फिर भी उस्तादों से एक बार पूछ लेना चाहिए.
    नीरज

    ReplyDelete
  2. आपको एक सदी जितनी उम्र नसीब हों कि कई सौ सदियों तक ये शब्द जादू जागते रहें.
    हर शेर एक कहानी है, एक मुकम्मल कहानी. बधाई.

    ReplyDelete
  3. क्या बोलूं? नि:शब्द हूँ

    ReplyDelete
  4. बहुत ही ग़ज़ब से शेर हैं .,.......... तुम पे हक हो ..... या फिर मर मिटे जो ...... बहुत शोखी है शेरों में ..........

    ReplyDelete
  5. बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...वाह, लाजबाब!

    ReplyDelete
  6. 'पांडव लगा दें दांव पर वो द्रोपदी नहीं है दिल
    तोड़ दें हम दिल किसी का ये हमें मंज़ूर नहीं;
    उनने तो सिर्फ आपकी मुस्कान ही तो देखी थी
    दिल आ गया किसी पे ये आँख का कुसूर नहीं.
    माननीय----- खोलकर खिड़की रखो या बंद दरवाजे रखो
    आजकल ताजी हवाएं ख्वाब बन कर रह गई हैं
    बेहतरीन ग़ज़ल बेहतरीन अंदाज काबिले तारीफ
    बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  7. ग़ज़ल दिल को छू गई।
    बेहद पसंद आई।

    ReplyDelete
  8. टूटना यदि विख़रना है, तो न करो वादा यही सही।
    विख़र कर भी महक सकना,मुस्कान का अन्दाजा नही॥

    ReplyDelete
  9. हमेशा की तरह वेहतरीन गज़ल

    ReplyDelete
  10. मर मिटे वो जो मेरी मुस्कान पर हैं मेरे ग़म का अंदाजा नहीं...
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ....!!

    ReplyDelete
  11. उनको मेरे गम का अंदाजा नहीं है... बहुत खूब.

    ReplyDelete
  12. neeraj ji maine rachna mein jaroori parivartan kar diye hain.dhyan dilane ka shukriya.

    ReplyDelete
  13. dil ke badle dil .........
    aha kya sher kaha hai
    bahut shaandaar gazal

    ReplyDelete
  14. हम मरेन्गे मिटेगे नही जियेगे आपकी मुस्कान के साथ

    ReplyDelete
  15. प्रशंसनीय -मंच पर भी ,ब्लाग पर भी ।

    ReplyDelete
  16. शाम ढलती रही , और सूरज डूब गया सागर में |
    बस तेरी याद ही रही , जो ली मुझे मयखाने में ||



    shekhar kumawat

    kavyawani.blogspot.com/

    ReplyDelete
  17. kiran ji, kya kahu aur kya na kahu....sochata hu mere shabdo me in gazlo ki tareef kam na pad jaye...dil ko choo gai hai aapki gazle..main to aap aur aap ki gazlo par fida ho gya...

    ReplyDelete
  18. ji ap ne kitni aachi baat kahi ha dil ke badle daav par dil lage................... par kavita ji aisa hota bahut kam ha

    ReplyDelete
  19. aap ki is kavita ne dil ko chu liya ha........... bahut aacha likhti ha aap

    ReplyDelete
  20. mar mite hai jo meri muskan pe unko mere gam ka andaja nahi .................

    ReplyDelete
  21. MAR MITE HAI JO TERI MUSKAN PAR
    KHELNA UNKO PARHA HAI JAAN PAR

    Kamal

    ReplyDelete
  22. कहा से तारीफ करूँ तारीफ़ करने के किये शब्दों ही नहीं हैं

    बहुत शानदार लिखा है

    ReplyDelete
  23. मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ|लोगों को ऐसी निंदनीय कार्य नहीं करना चाहिए|

    ReplyDelete