Monday, May 17, 2010

ख्वाब आते रहे ख्वाब जाते रहे नींद ही में अधर मुस्कुराते रहे





ख्वाब आते रहे ख्वाब जाते रहे
नींद ही में अधर मुस्कुराते रहे

सुरमई साँझ इकरार की थी मगर
रस्म इनकार की हम निभाते रहे

चांदनी रात में कांपती लहरों को
कंकरों से निशाना बनाते रहे

बोझ शर्मो-हया का ही हम रात-भर
रेशमी नम पलक पर उठाते रहे

उनके बेबाक इजहारे-उल्फत पे बस
दांत में उँगलियाँ ही दबाते रहे

वक़्त की बर्फ यूँ ही पिघलती रही
वो मनाते रहे हम लजाते रहे

ऐ "किरण" रात ढलती रही हम फ़क़त
रेत पर नाम लिखते मिटाते रहे
**************
डॉ कविता"किरण"

25 comments:

  1. उनके बेबाक इजहारे-उल्फत पे बस
    दांत में उँगलियाँ ही दबाते रहे
    nice

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  2. ख्वाब आते रहे ख्वाब जाते रहे
    नींद ही में अधर मुस्कुराते रहे

    इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

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  3. दिल को छुं लेने वाली .......

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  4. श्रृंगार की ग़ज़लें लिखने में आप कमाल हैं,कोई सानी नहीं.
    कविता जी, बधाइयाँ .
    शुभकामनाएँ.

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  5. ऐ "किरण" रात ढलती रही हम फ़क़त
    रेत पर नाम लिखते मिटाते रहे

    बहुत ही शानदार रचना है♥3

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  6. आज पहली बार यहाँ आया!
    आपकी बेहतरीन ग़ज़ल पढ़कर दिल को बहुत सुकून मिला!
    बहुत दिनों के बाद एक अच्छी ग़ज़ल पढ़ने को मिली!
    --
    बौराए हैं बाज फिरंगी!
    हँसी का टुकड़ा छीनने को,
    लेकिन फिर भी इंद्रधनुष के सात रंग मुस्काए!

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  7. उनके बेबाक इजहारे-उल्फत पे बस
    दांत में उँगलियाँ ही दबाते रहे

    Kya Baat hein... Kitna khubsurat ashyaar hein .. Buhut hi Behtrin ...

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  8. ye to galat bat hai,neend me adhar muskurate rahe !vaise gazal achhi hai .badhai!

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  9. सुरमई साँझ इकरार की थी मगर
    रस्म इनकार की हम निभाते रहे

    चांदनी रात में कांपती लहरों को
    कंकरों से निशाना बनाते रहे

    Wah Wah Kya Khoob Kaha hai aapne

    Lafzon ki jadugari koi aapse seekhe.

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  10. ख़ूबसूरत ख्यालों के लिए बहुत सी बधाईयाँ !

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  11. वक्त की बर्फ यूँ ही पिघलती रही.....वाह कविता जी वाह...बेहद खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने...दिली दाद कबूल करें...
    नीरज

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  12. किरण जी
    प्रणाम ,
    आप ने ग़ज़ल में तो अपने भावुक मन को सामने रख दिया ,
    साधुवाद

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  13. wakt ki barf yun pigalti rahi wo manate rahe hum lajate rahe......
    bahut khub ....
    isase jyada kya kahaja sakata hai

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  14. हर शेर कमाल का है ... इसी बहर पर बना गीत याद आ गया ...
    चश्में नम मस्कुराती रही रात भर ...

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  15. सुरमई साँझ इकरार की थी मगर
    रस्म इनकार की हम निभाते रहे
    ग़ज़ल का रिवायती रंग बेहद खूबसूरत अंदाज़ में पेश किया गया है.
    हर शेर दिल को छू गया.

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  16. ख्वाब आते रहे ख्वाब जाते रहे
    नींद ही में अधर मुस्कुराते रहे.

    बहुत सुन्दर

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  17. नमस्‍कार
    मैंने आपकी गजल को पढा है ा काफी खूबसूरत वातावरण तैयार किया है शब्‍दों से
    भावों की अभिव्‍य‍क्ति भी अत्‍यन्‍त गहन है
    याद आता है एक कलाम गुलाम अली साहब का गाया हुआ रेत पे
    क्‍या लिखते रहते हो ा चूंकि मैं स्‍वय संगीत जगत का एक हिस्‍सा हुं मौका पडा तो इस गजल की कम्‍पोजिशन रिकार्ड कर भ्ेजने का प्रयास करूंगा ा एक सुन्‍दर सुरमयी आक़ति के लिए आपकाे बहुत ही बधाई

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  18. shukriya Markandey ji.aap meri gazal ko sangeet den isse achhi baat kya ho sakti hai.my\ujhe iski composition ki prateeksha rahegi shukriya.

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  19. NEEND ME ADHARON KA MUSKRAN.....ATI SUNDAR..

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  20. rashm inkar ki ham nibhate rahe. bahut hi sundar ser hai. badhai ho.

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  21. aap ki lekhni ka jawab nahin.aap ne jo kavita chakradhar chaman main sunayi thi kripya wph blog par prakashit karey.atti sunder kavita hai woh.ASHOK CHANDNA

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  22. Kavita ji bahut khoob kaha aapne aisa lagata hei aap bahut hi dil se sochate hei and likhate hei aise hi achcha likhate rahe...... aour aise hi hum dil se padhate rahe............

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  23. So talented - nice poem am delighted to read it

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