Sunday, July 3, 2011

वही रात-रात का जागना....(एक नज़्म)


वही रात-रात का जागना
वही ख़ुद को ख़ुद में तलाशना
वही बेख़ुदी, वही बेबसी
वही
अपने आप से भागना!

वही जिंदगी, वही रंज़ो-ग़म
वही
बेकली, वही आँख नम

वही रोज़ ही, इक दर्द से
करना
पड़े हमें सामना !


वही रोना इक-इक बात पर
तकिये से मुंह को ढांपकर
सर
रख के अपने हाथ पर

खाली
हवाओं को ताकना !

वही आंसुओं का है सिलसिला
वही
ज़ीस्त से शिकवा-गिला

वही इश्क़ सांवली रात से
वही
जुगनुओं को निहारना!

कभी
रो के काटी ये ज़िंदगी

कभी पा गये थोड़ी खुशी
कभी
आफताब का नूर था

कभी
छा गया कोहरा घना !

*******************
डॉ.कविता 'किरण'

24 comments:

  1. बहुत ख़ूबसूरत नज़्म

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  2. वाह बहुत सुन्दर नज़्म दिल को छू गयी।

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  3. प्रणाम !
    आशा निराशा के बीच एक आस लिए स्वयं को कही ढूदना .!
    सुंदर , स्वयं को हर शै के साथ जोड़ अपने ज़ज्बात ढालना ,.
    साधुवाद
    सादर !

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  4. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 05 - 07 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    साप्ताहिक काव्य मंच-- 53 ..चर्चा मंच 566

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  5. आपका वही अंदाज...

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  6. ऐसे ही बिताती जाती है ज़िन्दगी....
    सुंदर नज़्म...

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  7. वही आंसुओं का है सिलसिला
    वही ज़ीस्त से शिकवा-गिला
    वही इश्क़ सांवली रात से
    वही जुगनुओं को निहारना!

    वाकई बहुत सुंदर रचना

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  8. बहुत ही खूबसूरत नज़्म है, कविता जी...
    सादर

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  9. वाह!! बेहतरीन रचना.

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  10. बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..

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  11. aap sabhi mitron ka mere blog per tashreef lane aur meri nazm ki sarahne ke liye tahe-dil se shukriya....:)

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  12. bahut sunder bhaav-pravan rachna jo dil ke haal bayaan kar gayi.

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  13. मन से निकले भाव
    शब्दों में उतर गये... आभार..

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  14. जीवन के श्रृंग और गर्त से बखूबी परिचय कराती एक अत्यंत संवेदनशील भावनामयी रचना जो मन की गहराई में उतार कर सोचने को विवश करती है. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया और मुरीद बन गया आपकी लेखनी का. सदस्यता भी लेली है. आभार संवेदनाओं का.

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  15. कभी रो के काटी ये ज़िंदगी
    कभी पा गये थोड़ी खुशी
    कभी आफताब का नूर था
    कभी छा गया कोहरा घना !
    nice lines kavita zi :)
    ___________________________________
    किसी और की हो नहीं पाएगी वो ||

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  16. Jab bhav charam pr mukhrit hota hai to rachana vehad khubsurat ban jaati hai.shubhkamna.

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  17. बहुत खुबसूरत नज्म दाद को मुहताज नहीं फिर भी दिल ने कहा वाह वाह ...

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  18. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा होगी कल शनिवार (१६ -०७-११)को नयी-पुराणी हलचल पर |कृपया आयें और अपने सुझाव दें....!!

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  19. dil ko chhu gayee gajal...
    Khoobsurat prastuti ke liye aabhar!

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  20. क्यूँ इस तरह, जिन्दगी को, रोया तुमने |
    अभी तो बहुत, बाकी है, क्या खोया तुमने |

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