नाम मेरा 'किरण' है ऐ साहिब!मेरे अंदर मेरा उजाला है-डॉ.कविता"किरण"
I AM LIGHT OF LOVE,LET ME SPREAD IN YOUR HEART AND YOUR LIFE-Dr.kavita'kiran'
Monday, October 26, 2009
रिश्ते!
रिश्ते! गीली लकड़ी की तरह सुलगते रहते हैं सारी उम्र। कड़वा कसैला धुँआ उगलते रहते हैं। पर कभी भी जलकर भस्म नही होते। ख़त्म नही होते। सताते हैं जिंदगी भर किसी प्रेत की तरह! **********************'तुम कहते हो तो'काव्य संग्रह में से
कविता ब्लाग पर आने के लिए आभार। तुम्हारा ब्लाग भी आज ही देखा, उसके लिए भी बधाई। अच्छी अभिव्यक्ति है, रिश्ते कभी-कभी बहुत अच्छे भी होते हैं उनके बिना जीवन का रस ही नहीं आता। ऐसे में ही कभी उनका साथ छूटने लगे तब कलम बोल उठती है कि जीवन में सपने मत देखो। इसलिए मैंने लिखा था।
हमारे ब्लोग को लगत है आपके ब्लोग से इश्क हो गया है तभी तो जितना अपने ब्लोग पे नही लिख पाते उतना यहा लिख जाते है खैर भगवान दो ब्लोगो का प्रेम बनाये रखे http://hariprasadsharma.blogspot.com/
waah ma'am.... kya paribhaasha di hai rishton ki....
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन रचना...आप की अभिव्यक्ति बहुत दमदार है...बधाई...
ReplyDeleteनीरज
कविता
ReplyDeleteब्लाग पर आने के लिए आभार। तुम्हारा ब्लाग भी आज ही देखा, उसके लिए भी बधाई। अच्छी अभिव्यक्ति है, रिश्ते कभी-कभी बहुत अच्छे भी होते हैं उनके बिना जीवन का रस ही नहीं आता। ऐसे में ही कभी उनका साथ छूटने लगे तब कलम बोल उठती है कि जीवन में सपने मत देखो। इसलिए मैंने लिखा था।
हमारे ब्लोग को लगत है आपके ब्लोग से इश्क हो गया है
ReplyDeleteतभी तो जितना अपने ब्लोग पे नही लिख पाते उतना यहा लिख जाते है
खैर भगवान दो ब्लोगो का प्रेम बनाये रखे
http://hariprasadsharma.blogspot.com/
LAJWAAB RACHNA......
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने . रिश्ते केवल धुंआ उगलते लकड़ी होते है l
ReplyDeletekisne kaha ke rishtey dhuan ugalte rehte hain. yeh to apna apna tariqa hai ke rishtey ko kis tarah nibhate hain.
ReplyDeleteJohn