दिल में अरमां जगा लिया मैंने
दिन खुशी से बिता लिया मैंने
इक समंदर को मुंह चिढाना था
रेत पर घर बना लिया मैंने
अपने दिल को सुकून देने को
इक परिंदा उड़ा लिया मैंने
आईने ढूंढ़ते फिरे मुझको
ख़ुद को तुझ में छुपा लिया मैंने
ओढ़कर मुस्कुराहटें लब पर
आंसुओं का मज़ा लिया मैंने
ऐ 'किरण'चल समेट ले दामन
जो भी पाना था पा लिया मैंने
*************************ग़ज़ल संग्रह 'तुम्ही कुछ कहो ना!' में से
दिन खुशी से बिता लिया मैंने
इक समंदर को मुंह चिढाना था
रेत पर घर बना लिया मैंने
अपने दिल को सुकून देने को
इक परिंदा उड़ा लिया मैंने
आईने ढूंढ़ते फिरे मुझको
ख़ुद को तुझ में छुपा लिया मैंने
ओढ़कर मुस्कुराहटें लब पर
आंसुओं का मज़ा लिया मैंने
ऐ 'किरण'चल समेट ले दामन
जो भी पाना था पा लिया मैंने
*************************ग़ज़ल संग्रह 'तुम्ही कुछ कहो ना!' में से
is gazal ko padhte hue aisa lagta hai jaise man ke ahsaas hilore le rahe ho
ReplyDeleteaaine dhund te fire mujhko ...
ReplyDeletekhud ko tujhme chupa liya manie
Bhot KHUb