Tuesday, October 13, 2009

चाँद धरती पे उतरता कब है


आईना रोज़ संवरता कब है
अक्स पानी पे ठहरता कब है
हमसे कायम ये भरम है वरना
चाँद धरती पे उतरता कब है
न पड़े इश्क की नज़र जब तक
हुस्न का रंग निखरता कब है
हो न मर्ज़ी अगर हवाओं की
रेत पर नम उभरता कब है
लाख चाहे ऐ 'किरण' दिल फ़िर भी
दर्द वादे से मुकरता कब है
--------------------------------- 'तुम्ही कुछ कहो ना!'में से

2 comments:

  1. आईना रोज संवरता कब है
    अक्स पानी पर ठहरता कब है
    क्या खूब लिखा है बहुत सुन्दर

    ReplyDelete