चाँद धरती पे उतरता कब है
आईना रोज़ संवरता कब है
अक्स पानी पे ठहरता कब है
हमसे कायम ये भरम है वरना
चाँद धरती पे उतरता कब है
न पड़े इश्क की नज़र जब तक
हुस्न का रंग निखरता कब है
हो न मर्ज़ी अगर हवाओं की
रेत पर नम उभरता कब है
लाख चाहे ऐ 'किरण' दिल फ़िर भी
दर्द वादे से मुकरता कब है
--------------------------------- 'तुम्ही कुछ कहो ना!'में से
आईना रोज संवरता कब है
ReplyDeleteअक्स पानी पर ठहरता कब है
क्या खूब लिखा है बहुत सुन्दर
Appreciate this blogg post
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