Wednesday, October 14, 2009

दिल पे कोई नशा न तारी हो


दिल पे कोई नशा तारी हो
रूह तक होश में हमारी हो

कुछ
फकीरों के संग यारी हो
जेब में कायनात सारी हो

हैं सभी हुस्न की इबादत में
इश्क का भी कोई पुजारी हो
चोट भी दे लगाये मरहम भी
इस कदर नर्म दिल शिकारी हो

चाहती हूँ मेरे खुदा मुझ पर
बस तेरे नाम की खुमारी हो

मौत आए तो बेझिझक चल दें
इतनी पुख्ता 'किरण' तयारी हो
************************डॉ.कविता'किरण

8 comments:

  1. वाह कविता जी अच्छे शेर निकाले हैं आपने.....

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  2. Kavita ji, Apka blog dekha. Badhai. Jordar. Jabardast. Apki rachnai aur apke sunder photographs ne to blog per char chand lega deye hai. This shows actul creatvity. accept my wishes and congratulations for it. " Dil pe koi nasha na tarri ho' apki is rachna ke satth hee doosri sab rachnai bhee padhi. beautiful. please keep it up.
    -Dr. Kunjan Acharya.

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  3. दीवाली हर रोज हो तभी मनेगी मौज
    पर कैसे हर रोज हो इसका उद्गम खोज
    आज का प्रश्न यही है
    बही कह रही सही है

    पर इस सबके बावजूद

    थोड़े दीये और मिठाई सबकी हो
    चाहे थोड़े मिलें पटाखे सबके हों
    गलबहियों के साथ मिलें दिल भी प्यारे
    अपने-अपने खील-बताशे सबके हों
    ---------शुभकामनाऒं सहित
    ---------मौदगिल परिवार

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  4. फ़कीरो से यारी करने पे कविता फ़कीर हो जयेगे पर फ़कीर तो हैसियत बाले हो जायेगे. वैसे कायनात मे कविता से बढके फ़कीर और कौन है जो सबको मोहब्बत की दुआ देती है.

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  5. आज मौका मिला तो आपको पढ़ रहा हूँ.

    आपको पढना एक अंतरिम ख़ुशी है
    प्रशंसा किन शब्दों से करूँ जब लाचारी हो


    - सुलभ

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  6. sach mai aapki kavita bhut achi hai aap par maa SARASWATI ki kirpa hai

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  7. aapki pic ne is gazal ko aur nashili bana di hai
    hahahahahah
    good one

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